Edited By Kuldeep, Updated: 22 Jan, 2025 09:46 PM
हिमाचल में सामने आया छात्रवृत्ति घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है। इसका मुख्य कारण इस मामले की जांच कर रहे केंद्रीय जांच एजैंसियों (सीबीआई व ईडी) के 2 अधिकारियों की गिरफ्तारी होना है।
शिमला (राक्टा): हिमाचल में सामने आया छात्रवृत्ति घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है। इसका मुख्य कारण इस मामले की जांच कर रहे केंद्रीय जांच एजैंसियों (सीबीआई व ईडी) के 2 अधिकारियों की गिरफ्तारी होना है। विशेष है कि करोड़ों रुपए के घोटाले की जांच कर रहे सी.बी.आई. की शिमला शाखा के पूर्व डीएसपी को चंडीगढ़ सीबीआई ने बीते दिन गिरफ्तार कर लिया था। अधिकारी पर घोटाले में नामजद शिक्षण संस्थानों के 2 संचालकों से अढ़ाई करोड़ रुपए रिश्वत में से 10 प्रतिशत हिस्सेदारी मांगने का कथित आरोप है।
वहीं छात्रवृत्ति घोटाले के तहत मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रहे ईडी शिमला के पूर्व सहायक निदेशक को पहले ही सीबीआई गिरफ्तार कर चुकी है। ऐसे में अब छात्रवृत्ति घोटाले से जुड़े मामले की जांच पर ही कई सवाल उठ रहे हैं। वहीं रिश्वत मांगे जाने का खुलासा होने के बाद ईडी अब नए छात्रवृत्ति घोटाले में नए सिरे से मनी लॉन्ड्रिंग एंगल की जांच कर रही है। इसके तहत दिल्ली मुख्यालय ने जांच का जिम्मा शिमला सब जोनल उपनिदेशक और मुख्यालय के संयुक्त निदेशक को सौंपा है।
साथ ही सूचना है कि सीबीआई चंडीगढ़ ने मामले की जांच के तहत शिमला कार्यालय से छात्रवृत्ति घोटाले से जुड़ा रिकार्ड कब्जे में ले लिया है और सीबीआई कार्यालय शिमला में नए डीएसपी की तैनाती की गई है, साथ ही सीबीआई चंडीगढ़ पूरे मामले की तह खंगालने के लिए जांच दायरे में आए दोनों अधिकारियों से पूछताछ करने में जुटी हुई है। उल्लेखनीय है कि घोटाले के आरोप में फंसे निजी शिक्षण संस्थानों के संचालकों से मांगी रिश्वत मामले में ईडी मुख्यालय ने शिमला का स्टाफ बदल दिया गया था। वहीं केंद्रीय जांच एजैंसियों की अधिकारियों की गिरफ्तारी से सभी हैरत में हैं और अंदरखाते पूूरे मामले को लेकर चर्चाओं का दौर गर्म है।
जांच दायरे में 28 संस्थान
छात्रवृत्ति घोटाले में करीब 28 शिक्षण संस्थानों के खिलाफ सीबीआई ने जांच अमल में लाई है। यह पूरा घोटाला 181 करोड़ रुपए के आसपास आंका गया है। प्रदेश में वर्ष 2012 से 2017 के बीच छात्रवृत्ति घोटाले को अंजाम दिया गया। ईडी छात्रवृत्ति घोटाले में आरोपियों के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई अमल में ला जा रही है। इसके तहत आरोपियों की करोड़ों रुपए की संपत्तियों को भी अटैच किया गया है।