Edited By Vijay, Updated: 31 Jul, 2025 07:31 PM

हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर लॉटरी प्रणाली की वापसी होने जा रही है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में वीरवार को हुई मंत्रिमंडल बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।
शिमला (हैडली): हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर लॉटरी प्रणाली की वापसी होने जा रही है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में वीरवार को हुई मंत्रिमंडल बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। यह बैठक लगातार चौथे दिन आयोजित की गई थी, जिसमें कई अहम फैसलों पर मुहर लगी। इन्हीं में से एक है राज्य में लॉटरी व्यवस्था को पुनः शुरू करना। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है, जब राज्य सरकार आर्थिक संसाधनों को बढ़ाने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रही है। जानकारी के अनुसार वित्त विभाग ने मंत्रिमंडल के समक्ष इस विषय पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी थी। इसके बाद कैबिनेट सब-कमेटी की सिफारिशों के आधार पर इस फैसले को स्वीकृति मिली।
पहले भी था लॉटरी का दौर, विरोध के चलते हुई थी बंद
गौरतलब है कि हिमाचल में कई साल पहले भी लॉटरी का संचालन होता था, लेकिन उस समय यह व्यवस्था काफी विवादों में रही और जनविरोध के चलते इसे तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल की सरकार ने बंद कर दिया था। विरोध के पीछे तर्क यह था कि लॉटरी जैसे सिस्टम से समाज में लत और भ्रम फैलता है। अब दोबारा इसे शुरू करने का निर्णय सरकार ने राजस्व वृद्धि के उद्देश्य से लिया है। सरकार का मानना है कि यदि इसे पारदर्शी और नियंत्रित तरीके से लागू किया जाए, तो यह राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक साबित हो सकती है।
दूसरे राज्यों की टैंडर प्रक्रिया काे किया जाएगा फॉलो
वित्त विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक,लॉटरी व्यवस्था के माध्यम से सरकार को सालाना लगभग 50 से 100 करोड़ रुपए तक की आय हो सकती है। इस संबंध में अन्य राज्यों के अनुभव को भी ध्यान में रखा गया है। जैसे कि पंजाब में पिछले वर्ष लॉटरी से करीब 235 करोड़, सिक्किम में 30 करोड़ और केरल में 13,582 करोड़ रुपए की आय हुई है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि लॉटरी शुरू करने के लिए अन्य राज्यों की टैंडर प्रक्रिया को अपनाया जाएगा।