Shimla: अब अनाथ बच्चे नहीं रहेंगे बेसहारा, मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना से लाभान्वित हो रहे बेसहारा बच्चे

Edited By Jyoti M, Updated: 22 Sep, 2024 04:50 PM

shimla now orphan children will not remain helpless

समाज के अनाथ व बेसहारा बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ने और आत्म निर्भर भविष्य बनाने की दिशा में प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविद्र सिंह सुक्खू ने मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना आंरभ की हुई है।

हिमाचल डेस्क। समाज के अनाथ व बेसहारा बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ने और आत्म निर्भर भविष्य बनाने की दिशा में प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविद्र सिंह सुक्खू ने मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना आंरभ की हुई है। इस योजना से प्रदेश भर के बेसहारा बच्चों को लाभ मिल रहा है। इसी के तहत, जिला शिमला के भी सैंकड़ों बच्चों को योजना के माध्यम से अनेकों सुविधाएं मिल रही है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बेसहारा बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट का दर्जा देकर समाज में एक नई मिसाल पेश की है। इससे जहां पर बेसहारा बच्चों को सुरक्षित जीवन मिल पा रहा है, वहीँ उनके जीवन में सुधार भी आना शुरू हो गया है। बेसहारा बच्चों के पालन पोषण में अब न तो वित्तीय चुनौती आड़े आती है और न ही समावेशी योजना।

सुख आश्रय योजना को सरकार द्वारा 28 फरवरी 2023 को अधिसूचित किया गया था। इस योजना के तहत जिला शिमला में वर्तमान में 0-27 आयु वर्ग के 321 अनाथ, असहाय व बेसहारा बच्चों की पहचान कर उन्हे चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट घोषित कर इस योजना के तहत पात्रता प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं।

इसके साथ 281 पात्र लाभार्थियों को इस योजना के अंतर्गत सामाजिक सुरक्षा घटक के तहत 4000 रुपए प्रतिमाह दिया जा रहा है। इस योजना के विभिन्न घटकों के तहत कुल 13 लाभार्थियों को लाभ दिया गया है। इनमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के 7, व्यावसायिक प्रशिक्षण के 4, स्टार्टअप का 1, कौशल विकास प्रशिक्षण का 1 लाभार्थी शामिल है। जिससे उक्त सभी लाभार्थी अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर अपने सपनों को साकार कर समाज की मुख्यधारा से जुड़कर अपने जीवन को खुशहाल बना सके।

मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के अन्तर्गत जिला शिमला के सभी 12 बाल-बालिका संस्थानों के लगभग 425 बच्चों के 0-14 आयु वर्ग को 1000 रूपए प्रति माह प्रति बच्चा और 15-18 आयु वर्ग को 2500 रूपये प्रति माह प्रति बच्चा समाजिक सुरक्षा अनुदान दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत इन संस्थानों मे बच्चो को लोहड़ी, बैसाखी, होली, रक्षा बंधन, जन्माष्टमी, दशहरा, दिपावली, क्रिसमस त्योहार मनाने के लिए 500 रूपये प्रत्येक बच्चे के खाते मे तथा 5000 रुपए और 10000 रुपए संस्थान की क्षमतानुसार त्योहार मनाने को त्यौहार भत्ते के तहत दिये जा रहे है।

जिला शिमला में 252 अर्ध-बेसहारा (सेमि ऑर्फन) बच्चों की सामाजिक सुरक्षा की दृष्टि से 71 लाख 58 हजार 206 रूपए खर्च किए जा चुके है। मशोबरा खंड में 6 लाख 16 हजार रूपये, शिमला शहरी में 6 लाख 40 हजार रूपए, बसंतपुर खंड में 88 हजार 903, चिढ़गाव में 6 लाख, चैपाल खंड में 17 लाख 71 हजार 836 रूपए, रोहड़ू खंड में 02 लाख 54 हजार रूपए, जुब्बल खंड में 05 लाख 59 हजार 600 रूपये, कुमारसैन खंड में 3 लाख 44 हजार, ठियोग खंड में 10 लाख 73 हजार 867 रूपये, रामपुर खंड में 7 लाख 84 हजार रूपये और ननखड़ी खंड में 4 लाख 16 हजार रूपये खर्च किए जा चुके है।

वहीं जिला के विभिन्न बाल एंव बालिका आश्रम में रहने वाले 251 बेसहारा बच्चों पर शिमला जिला में 86 लाख 6 हजार 40 रूपये व्यय किए चुके है। जिला में कुल 503 बच्चों पर अप्रैल माह से अभी तक कुल 01 करोड़ 57 लाख 64 हजार 246 रूपए खर्च किए चुके है।उपायुक्त अनुपम कश्यप ने बताया कि मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना से बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो रहा है और उनके भविष्य की नींव को मजबूती मिल रही है।

प्रदेश सरकार की इस योजना से जिला भर में बेसहारा बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के तौर पर अपनाया है। जिला के बाल-बालिका संस्थानों के 11 बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा घटक के तहत जिला प्रशासन शिमला के सहयोग से जिला कार्यक्रम अधिकारी और जिला बाल संरक्षण इकाई के द्वारा 3 बच्चों को लोरेटो तारा हॉल स्कूल, 05 बच्चों को दयानन्द पब्लिक स्कूल शिमला, तथा 03 बच्चों को पाइन ग्रोव स्कूल में प्रवेश दिलाया गया है तथा बाल-बालिका संस्थान के अलावा बाहर से एक बालिका को पाइन ग्रोव स्कूल मे प्रवेश दिलाया गया है।

योजना के लिए पात्रता

प्रदेश सरकार द्वारा इस योजना का लाभ राज्य के मूल निवासी को दिया जा रहा है। इस योजना में लाभ केवल अनाथ बच्चों को मिलेगा, साथ ही निराश्रित महिलाएं और वरिष्ठ नागरिक भी इस योजना के लिए पात्र होंगे। इसके लिए आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, भूमिहीन होने का शपथ पत्र, बैंक खाता विवरण, पासपोर्ट साइज फोटो, मोबाइल नंबर, आय प्रमाण पत्र, बच्चे के माता पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र, निराश्रित महिलाओं का शपथ पत्र, उत्तीर्ण कक्षा की मार्कशीट और कोचिंग की सुविधा के लिए छात्रावास की रसीद अनिवार्य है। योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए फॉर्म भरकर महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं।  

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