हिमाचल को 82 नए मामलों में एफ.सी.ए. और एफ.आर.ए. के तहत मिली मंजूरी

Edited By Kuldeep, Updated: 04 May, 2021 04:37 PM

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केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 28 नए मामलों में एफ.सी.ए. और 54 मामलों में एफ.आर.ए. के तहत मंजूरी प्रदान कर दी है।

शिमला (देवेंद्र हेटा): केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 28 नए मामलों में एफ.सी.ए. और 54 मामलों में एफ.आर.ए. के तहत मंजूरी प्रदान कर दी है। वन विभाग ने अब सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर इन मामलों को क्लीयरैंस देने का आग्रह किया है क्योंकि देश की शीर्ष अदालत ने एक व्यक्ति की याचिका पर हिमाचल प्रदेश में एफ.सी.ए. और एफ.आर.ए. मंजूरी देने पर प्रतिबंध लगा रखा है इसलिए जब तक सुप्रीम कोर्ट का प्रतिबंध हट नहीं जाता, तब तक केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी के बाद भी कोर्ट की हरी झंडी अनिवार्य रहेगी।

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा मंजूर मामलों में अधिकतर इलैक्ट्रिक प्रोजैक्ट, सड़कें, कालेज, मॉडल स्कूल, हाईड्रो पावर प्रोजैक्ट, कार पार्किंग, आंगनबाड़ी, डिस्पैंसरी, पेयजल व सिंचाई योजना, फेयर प्राइज शॉप, इलैक्ट्रिक व टैलीकॉम लाइन व छोटे सिंचाई प्रोजैक्ट के बताए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी के बाद ही इन प्रोजैक्टों को धरातल पर उतारने का काम शुरू हो सकेगा।

हिमाचल का 67 फीसदी एरिया कानूनी तौर पर वन क्षेत्र है। शेष भूमि पर रिहायश के साथ-साथ किसान खेतीबाड़ी-बागवानी करते हैं। इसलिए प्रदेश में विभिन्न विकास कार्यों के लिए अमूमन भूमि की कमी खलती है। एफ.सी.ए. और एफ.आर.ए. के बगैर कई योजनाएं तो एक-एक दशक से अटकी रहती हैं। इसका असर विभिन्न विकास कार्यों पर पड़ता है। इससे पहले बीते फरवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट 138 मामलों में एफ.सी.ए. और 455 मामलों में एफ.आर.ए. के तहत मंजूरी प्रदान कर चुका है।

एफ.आर.ए. लेने का प्रोसैस?
एक हैक्टेयर तक भूमि के केस में एफ.आर.ए. दी जाती है। इसकी शक्तियां संबंधित डी.एफ.ओ. के पास हैं। इससे पहले किसी भी एफ.आर.ए. के केस में ग्राम सभा की मंजूरी अनिवार्य होती है। ग्राम सभा की मंजूरी के बाद रेंज ऑफिसर को अपनी रिपोर्ट डी.एफ.ओ. के सामने पेश करनी होती है। तत्पश्चात डी.एफ.ओ. एफ.आर.ए. देते हैं। एफ.आर.ए. का कोई मामला डी.एफ.ओ. द्वारा रिजैक्ट करने की सूरत में संबंधित जिलाधीश के सामने रखा जाता है।

ऐसे मिलती है एफ.सी.ए.
वन भूमि के गैर-वनीय इस्तेमाल के लिए फोरैस्ट कंजर्वेशन एक्ट-180 के तहत केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी आवश्यक होती है। सड़क, बिजली, स्कूल व पेयजल प्रोजैक्ट जैसे 13 चिन्हित कामों के लिए एफ.सी.ए. का केस देहरादून स्थित वन एवं पर्यावरण मुख्यालय को भेजा जाता है। यहां से सैद्धांतिक मंजूरी के वक्त कई शर्तें लगाई जाती हैं और काटे जाने वाले प्रस्तावित पेड़ का संबंधित विभाग को हर्जाना भरने के निर्देश दिए जाते हैं। तब जाकर फाइनल अपू्रवल मिलती है।

वन विभाग पी.सी.एफ डा. सविता का कहना है कि वन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में इंटरलॉक्यूटरी एप्लीकेशन दे दी है। इसमें 28 मामलों में एफ.सी.ए. और 54 मामलों में एफ.आर.ए. देने का आग्रह किया है। अन्य मंजूर मामलों को लेकर जल्द दूसरी अर्जी कोर्ट में दाखिल करने जा रहे हैं।

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