Edited By Kuldeep, Updated: 29 Nov, 2024 05:55 PM
हिमाचल प्रदेश में सरकार ने सूखे से कृषि को होने वाले नुक्सान की फील्ड से रिपोर्ट मांगी है। इसके लिए जिला उपायुक्तों के साथ-साथ कृषि विभाग के फील्ड अधिकारियों को स्थिति पर नजर रखने को कहा गया है, साथ ही सूखे के कारण अब तक हो चुके नुक्सान की रिपोर्ट...
शिमला (भूपिन्द्र): हिमाचल प्रदेश में सरकार ने सूखे से कृषि को होने वाले नुक्सान की फील्ड से रिपोर्ट मांगी है। इसके लिए जिला उपायुक्तों के साथ-साथ कृषि विभाग के फील्ड अधिकारियों को स्थिति पर नजर रखने को कहा गया है, साथ ही सूखे के कारण अब तक हो चुके नुक्सान की रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। राज्य में जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति, किन्नौर तथा अन्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों को छोड़कर अन्य सभी स्थानों पर रबी की फसल लगाई जाती है। रबी की प्रमुख फसलों में गेहूं, चना, मटर, जौ, सरसों, अलसी, मसूर, आलू व तिलहन आदि शामिल हैं। इनमें से गेहूं प्रमुख रूप से उगाई जाती है। रबी की फसलों को सर्दियों के मौसम में बोया जाता है और बसंत ऋतु में काटा जाता है। यानी इनके बोने का समय अक्तूबर से दिसम्बर के बीच होता है और कटाई का समय फरवरी के आखिरी हफ्ते से लेकर मार्च के आखिरी हफ्ते तक होता है। रबी की फसलों को पानी के अलावा ठंडे मौसम की जरूरत होती है, लेकिन राज्य में गत सितम्बर माह से बारिश ही नहीं हो रही है।
इस कारण किसान रबी की फसल की बुआई नहीं कर पा रहे हैं। यदि इन दिनों किसानों ने बीज बोया तथा अगले 10 से 12 दिनों में बारिश नहीं हुई तो वह खराब हो जाएगा तथा उन्हें नुक्सान उठाना पड़ेगा। राज्य में बहुत कम सिंचाई की सुविधा वाले क्षेत्रों में ही गेहूं व अन्य फसलों को बोया गया है। ऐसे में यदि आगामी दिनों में भी बारिश नहीं हुई तो नुक्सान और बढ़ेगा क्योंकि जिन लोगों ने बीज बो दिया है, सूखे के कारण बोया हुआ बीज भी खराब हो सकता है। ऐसे में उन्हें फिर से अपने खेतों में बीज बोना पड़ेगा। इसे देखते हुए सरकार ने सूखे से हो रहे नुक्सान का आकलन करने व उसकी रिपोर्ट तैयार करने को कहा है।
कितने क्षेत्र में होता है उत्पादन
हिमाचल में इस साल कृषि विभाग ने 3.34 लाख हैक्टेयर में गेहूं के उत्पादन का लक्ष्य रखा है। राज्य में गत वर्षों में 3.33-3.43 लाख हैक्टेयर भूमि पर गेहूं का उत्पादन हुआ था। हिमाचल प्रदेश में गत वर्ष 672 मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ है। वहीं वर्ष 2020-21 में 569.86 मीट्रिक टन, वर्ष 2019-20 में 627.96 तथा वर्ष 2018-19 में 682.63 मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ था।
सूखे में बीज बोया तो होगा खराब : डा. भारद्वाज
कृषि विशेषज्ञ डा. एसपी भारद्वाज ने कहा कि कई वर्षों में यह पहली बार हुआ है कि सर्दियों में गत 3 माह से अधिक समय से बारिश नहीं हुई है। इस कारण न तो किसान खेतों में हल चला पा रहे हैं या खुदाई नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि इन दिनों सूखे में किसानों ने बीज को बोने का प्रयास किया तो बारिश नहीं होने की स्थिति में बीज खराब हो जाएगा, जिससे उन्हें और नुक्सान होगा, साथ ही सब्जियों का साइज नहीं बनेगा। उन्होंने कहा कि पानी पौधे को ग्रोथ व पोषक तत्व देता है।