Edited By Kuldeep, Updated: 14 Jul, 2025 10:08 PM

प्रदेश हाईकोर्ट ने वन भूमि पर बगीचे लगाकर अतिक्रमण करने वाले सभी कब्जाधारियों के खिलाफ एक समान कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं।
शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने वन भूमि पर बगीचे लगाकर अतिक्रमण करने वाले सभी कब्जाधारियों के खिलाफ एक समान कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं। मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बी.सी. नेगी की खंडपीठ ने कहा कि यह स्वीकार्य तथ्य है कि सेब के बागों और अन्य फलदार वृक्षों पर कीटनाशकों और कवकनाशी के छिड़काव की आवश्यकता होती है। यह कार्य राज्य सरकार के किसी भी विभाग द्वारा संभव नहीं हो पाएगा।
यदि ऐसे बागों को वन विभाग के स्वामित्व में ज्यों का त्यों अस्तित्व में रहने दिया जाता है तो इनमें बीमारियां पनप सकती हैं। इससे वे अन्य कानूनी रूप से विकसित पड़ोसी बागवानों को भारी नुक्सान पहुंचाएंगे। कोर्ट ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि वन भूमि से सेब के पेड़ों को हटाने का आदेश केवल उन बागों तक ही सीमित नहीं है, जहां सरकारी भूमि पर फिर से कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि राज्य सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह सभी मामलों से समान रूप से निपटे।
प्रत्येक अतिक्रमित वन भूमि से सेब के पेड़ों को हटाकर ही ऐसा किया जाए। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट को सरकार की ओर से बताया गया था कि फिलहाल वन विभाग द्वारा सेब के पेड़ों को केवल उन मामलों/क्षेत्रों में हटाया जा रहा है जहां अतिक्रमणकारी वन भूमि पर उगाए गए बागों पर फिर से अनधिकृत कब्जा कर रहे थे। सरकार ने एक बार फिर दोहराया कि राज्य भर के उन बागों का सूक्ष्म प्रबंधन जहां से अतिक्रमणकारियों को हटाया गया है, वन विभाग या हिमाचल प्रदेश सरकार के लिए संभव नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को निर्धारित की गई है।