Edited By Kuldeep, Updated: 08 Apr, 2025 09:00 PM

प्रदेश हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए स्पष्ट किया कि कर्मचारियों की सेवा शर्तों से जुड़े मामलों में जनहित याचिका कायम नहीं रखी जा सकती।
शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए स्पष्ट किया कि कर्मचारियों की सेवा शर्तों से जुड़े मामलों में जनहित याचिका कायम नहीं रखी जा सकती। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायालयों को लगातार ऐसे व्यक्तियों द्वारा दायर जनहित याचिका पर विचार करने के विरुद्ध चेतावनी दी है, जो न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने में संकोच नहीं करते।
प्रार्थी ने जनहित याचिका दायर कर हिमाचल प्रदेश भर्ती एवं सरकारी कर्मचारियों की सेवा शर्तें अधिनियम, 2024 को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की थी। याचिकाकर्त्ता का कहना था कि वह प्रदेश सरकार की ओर से मनमाने, अनुचित और अवैधानिक कृत्यों से व्यथित है, जिसके तहत एक ऐसा कानून बनाया गया है, जो कानून के शासन और संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत वर्ग विधान बनाकर कर्मचारी वर्ग को मौलिक और अन्य वैधानिक अधिकारों से वंचित करेगा।
प्रदेश सरकार ने अधिनियम लाकर अनुबंध कर्मचारियों को वरिष्ठता सहित अन्य लाभ देने के अदालती आदेश को दबाने की कोशिश की है। कोर्ट ने इस जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इस बात पर विवाद नहीं किया जा सकता कि हिमाचल प्रदेश राज्य में कर्मचारियों की संख्या बहुत अधिक है और बजट का लगभग 24 प्रतिशत वेतन पर खर्च होता है, इसलिए यदि ऐसे कर्मचारी सरकार के उक्त अधिनियम से व्यथित हैं, तो वे खुद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र हैं और उनमें से कुछ ने पहले ही न्यायालय का दरवाजा खटखटा दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्त्ता को व्यथित पक्ष नहीं कहा जा सकता है। इसलिए, इस जनहित याचिका को दायर करने का अधिकार उसके पास नहीं है।
कोर्ट ने प्रार्थी के आचरण पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस विषय पर कानून तय होने के बावजूद भी याचिकाकर्त्ता ने यह जनहित याचिका दायर करने का विकल्प चुना है, जिससे यह अदालत केवल एक निष्कर्ष पर पहुंचती है कि यह याचिका संभवतः "प्रचार" के लिए दायर की गई है और इसे सुविधाजनक रूप से "प्रचार हित याचिका" कहा जा सकता है, जिसे शुरू में ही समाप्त कर दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने याचिकाकर्त्ता को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि वह भविष्य में इस तरह के दुस्साहस में शामिल न हो।