Edited By Kuldeep, Updated: 15 Nov, 2024 09:24 PM
हिमाचल प्रदेश करुणामूलक संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू से ओकओवर में मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्षता संघ के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार ने की।
शिमला (राक्टा): हिमाचल प्रदेश करुणामूलक संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू से ओकओवर में मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्षता संघ के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार ने की। प्रतिनिधिमंडल में मुख्यमंत्री को अपना दुखड़ा सुनाते हुए वन टाइम सैटलमैंट से सभी परिवारों को राहत देने की मांग की। साथ ही मुख्यमंत्री से आग्रह किया गया है कि शनिवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में उनकी मांग पर मोहर लगाई जाए। करुणामूलक संघ के पदाधिकारी अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे।
संघ के प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री से आग्रह किया गया कि सरकार वन टाइम सैटलमैंट के तहत करुणामूलक आश्रितों को राहत प्रदान करे। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री ने जल्द ही उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया है। अजय कुमार ने कहा कि करुणामूलक परिवार कई दफा नौकरी बहाली की मांग सरकार के समक्ष उठा चुके हैं लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने कुछ माह पूर्व करुणामूलक सब कमेटी का गठन भी किया था लेकिन अभी तक कोई राहत अभी तक नहीं मिल पाई है। उन्होंने कहा कि कई आश्रित तो बीते 25 से 30 वर्ष से नौकरी का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में आशा है कि 16 नवम्बर को होनी वाली कैबिनेट बैठक में करुणामूलक परिवारों के हित में कोई बड़ा फैसला लिया जाएगा।
432 दिन तक चली थी क्रमिक हड़ताल
करुणामूलक संघ ने पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में शिमला स्थित कालीबाड़ी मंदिर के समीप एक वर्षाशालिका में 432 दिन तक क्रमिक हड़ताल की थी। संघ के पदाधिकारियों की मानें तो क्रमिक हड़ताल के चलते ही कुछ करुणामूलक परिवारों को तो रोजगार मिल गया लेकिन कुछ आश्रित सरकार की गलत नीतियों के कारण नौकरी से वंचित रह गए।
ये मुख्य मांगें
आगामी कैबिनेट में पॉलिसी में संशोधन किया जाए। आय सीमा को 2.50 लाख से ज्यादा किया जाए। वित्त विभाग द्वारा निरस्त केसों पर फिर से विचार किए जाने की अधिसूचना जारी हो। 5 प्रतिशत कोटे की शर्त को हटा दिया जाए। योग्यता के अनुसार क्लास-सी. व डी की सभी श्रेणियों (तकनीकी और गैर तकनीकी) के सभी पदों में नौकरियां दी जाएं। जिन विभागों में खाली पद हैं, उनसे जुड़े मामले दूसरे विभाग में शिफ्ट करके नौकरियां दी जाएं।