Shimla: ब्रह्मो समाज मंदिर ट्रस्ट मामले में हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

Edited By Kuldeep, Updated: 15 Dec, 2025 09:38 PM

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सर्वोच्च न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है जिसके तहत ब्रह्मो समाज मंदिर ट्रस्ट शिमला की संपत्तियों पर कब्जे के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश जारी किए गए थे।

शिमला (मनोहर): सर्वोच्च न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है जिसके तहत ब्रह्मो समाज मंदिर ट्रस्ट शिमला की संपत्तियों पर कब्जे के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश जारी किए गए थे। हाईकोर्ट के इस फैसले को हिमालयन ब्रह्मो समाज के अनुयायियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने 25 सितम्बर को दिए फैसले में हिमालयन ब्रह्मो समाज के अनुयायियों द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि ब्रह्मो समाज मंदिर ट्रस्ट की संपत्तियों से जुड़ी कानून-व्यवस्था बनी रहे।

मामले के अनुसार हिमालयन ब्रह्मो समाज के अनुयायियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि याचिकाकर्त्ता के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। उनकी मांग थी कि ब्रह्मो समाज के भक्तों और अनुयायियों को अपने मंदिर में प्रवेश करने और अपनी संस्कृति के अनुसार मंदिर में पूजा और अन्य गतिविधियां करने की अनुमति दें। याचिकाकर्त्ताओं ने मंदिर को राम कृष्ण मिशन के संतों से तुरंत अपने कब्जे में लेने के आदेशों की मांग भी की थी। याचिका में प्रतिवादियों को निर्देश देकर याचिकाकर्त्ता के पूजा के मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करके ब्रह्मो समाज मंदिर, शिमला के आगे के प्रबंधन के लिए उचित आदेश की मांग भी की गई थी। एकल पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए उन्हें अपने विवादों को दीवानी अदालत के समक्ष रखने की अनुमति दी थी। इन आदेशों को खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी गई थी।

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