Shimla: अवैध पेमैंट गेटवे से ब्लैक मनी को बनाया जा रहा व्हाइट

Edited By Kuldeep, Updated: 06 Nov, 2024 05:32 PM

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साइबर अपराधियों के अवैध डिजिटल पेमैंट गेटवे को लेकर भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र द्वारा जारी अलर्ट के बाद प्रदेश में भी साइबर पुलिस लोगों को विभिन्न माध्यमों से जागरूक कर रही है।

शिमला (राक्टा): साइबर अपराधियों के अवैध डिजिटल पेमैंट गेटवे को लेकर भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र द्वारा जारी अलर्ट के बाद प्रदेश में भी साइबर पुलिस लोगों को विभिन्न माध्यमों से जागरूक कर रही है। इसके तहत लोगों को अपने बैंक खाते, कंपनी पंजीकरण प्रमाणपत्र, उद्यम आधार पंजीकरण प्रमाणपत्र सहित अन्य प्रमाणपत्र किसी को भी न बेचने और न ही इनसे जुड़ी जानकारी सांझा करने की सलाह दी जा रही है। सामने आया है कि आरोपियों द्वारा म्यूल बैंक खातों का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जा रहा है।

ऐसे में बैंक खातों में जमा होने वाली अवैध धनराशि के लिए गिरफ्तारी या अन्य कानूनी कार्रवाई से गुजरना पड़ सकता है। बैंक उन खातों के दुरुपयोग की पहचान करने के लिए जांच कर सकते हैं, जिनका इस्तेमाल अवैध पेमैंट गेटवे बनाने के लिए किया जाता है। साइबर अपराध समन्वय केंद्र द्वारा जारी अलर्ट के अनुसार हाल ही में की गई राष्ट्रव्यापी छापेमारी में पता चला कि अंतर्राष्ट्रीय अपराधियों द्वारा म्यूल या किसी अन्य के बैंक खातों का संचालन कर अवैध डिजिटल पेमैंट गेटवे बनाए गए हैं।

म्यूल खातों को विदेशों से दूर से नियंत्रित किया जाता है और आरोपी ऐसे खातों का उपयोग कर अवैध पेमैंट गेटवे बनाते हैं, जिसे आपराधिक सिंडिकेट को फर्जी इन्वैस्टमैंट स्कैम साइटों, ऑफशोर सट्टेबाजी और जुए से जुड़ी वैबसाइटों, फर्जी स्टॉक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म आदि जैसे अवैध प्लेटफार्मों पर जमा हुई धनराशि प्राप्त करने के लिए दिया जाता है। शातिर आरोपी अपराध की आय प्राप्त होते ही तुरंत दूसरे खाते में डाल देते हैं। ऐसे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वे किसी केे बहकावे में आकर निजी जानकारियां किसी भी सूरत में सांझा न करें और सचेत रहें।

विक्टम म्यूल : ये व्यक्ति अनजान होते हैं कि उनके खाते का दुरुपयोग किया जा रहा है। यह आमतौर पर डेटा ब्रीच के जरिए किया जाता है।

मिसलेड पार्टी अकाऊंट : ये अकाऊंट धारक अनजाने में धोखेबाजों को पैसे भेजते और प्राप्त करते हैं। ऐसा अक्सर नौकरी के विज्ञापनों का जवाब देने के बाद होता है, जिसमें उन्हें अपनी बैंक डिटेल्स सांझा करने के लिए कहा जाता है।

चोरी किए गए डॉक्यूमैंट्स से खोले गए खाते : ये खाते धोखेबाजों द्वारा चोरी किए गए डॉक्यूमैंट्स या फर्जी पहचान पत्रों के माध्यम से खोले जाते हैं ताकि वे अवैध तौर से अर्जित राशि का प्रबंधन कर सकें।

पैडलर अकाऊंट: ये ऐसे खाते होते हैं, जहां कोई व्यक्ति अपने असली खाते को धोखेबाजों को बेच देता है ताकि अवैध लेन-देन किए जा सके।

स्वैच्छिक म्यूल : ये खाते वे होते हैं जिन्हें एक व्यक्ति अपनी मर्जी से खोलता है और धोखेबाजों के निर्देशानुसार पैसे भेजने और प्राप्त करने के लिए उपयोग करता है।

यहां करें शिकायत
साइबर अपराध की शिकायतें राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) और राष्ट्रीय साइबर अपराध हैल्पलाइन नंबर 1930 पर दर्ज की जा रही रहे हैं। शिमला में स्थापित राज्य साइबर अपराध नियंत्रण कक्ष में सुबह 9 से शाम 6 बजे तक कॉल की जा सकती है।

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