भूंडा महायज्ञ: मेरे ऊपर देवी-देवताओं का आशीर्वाद, अब उम्र के पड़ाव में अगली बार नहीं संभव

Edited By Kuldeep, Updated: 06 Jan, 2025 05:56 PM

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मेरे ऊपर देवी-देवताओं का पूरा आशीर्वाद है, उसी के परिणामस्वरूप रिकार्ड 9 बार बेड़े की रस्म को पूरा कर चुका हूं। हालांकि उम्र के पड़ाव में अब अगली बार यह रस्म निभा पाऊंगा, यह संभव नहीं लगता।

शिमला (राक्टा): मेरे ऊपर देवी-देवताओं का पूरा आशीर्वाद है, उसी के परिणामस्वरूप रिकार्ड 9 बार बेड़े की रस्म को पूरा कर चुका हूं। हालांकि उम्र के पड़ाव में अब अगली बार यह रस्म निभा पाऊंगा, यह संभव नहीं लगता। रोहड़ू की स्पेल वैली के दलगांव में देवता बकरालू जी महाराज के मंदिर में आयोजित हुए ऐतिहासिक भूंडा महायज्ञ में बेेड़े की रस्म को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले बेड़ा महाराज सूरत राम ने यह बात कही। उन्होंने पंजाब केसरी से विशेष बातचीत में कहा कि 21 वर्ष की आयु में उन्होंने सबसे पहले वर्ष 1980 में रामपुर बुशहर के शोली गांव में आयोजित महायज्ञ में पहली बेड़े की रस्म निभाई थी।

दलगांव में यह दूसरा मौका था जब उन्होंने बेड़े की रस्म को सफलतापूर्वक पूरा किया। इसके साथ ही खड़ाहन, डंसा, मझेवली, बोसाहरा, बेलू व पुजारली में आयोजित हुए भूंडा महायज्ञ में यह रस्म निभा चुका हूं। सूरत राम ने कहा कि खड़ाहन में उन्होंने सबसे अधिक करीब 200 मीटर की आस्था खाई को पार किया था। उन्होंने कहा कि जीवन में एक स्थान पर दूसरी बार किसी को बेड़े की रस्म करने का मौका नहीं मिला है। ऐसे में वह अपने आप को भाग्यशाली मानते हैं। उन्होंने कहा कि दलगांव में उन्होंने यह रस्म पहले वर्ष 1985 में निभाई थी और अब 40 वर्ष 2025 में उन्हें यही मौका मिला था।

तनिक भी भयभीत नहीं हुआ
सूरत राम ने कहा कि बेड़े की रस्म को पूरा करने के लिए उन्हें कभी डर नहीं लगा। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि इस बार रस्सी टूटी लेकिन वह तनिक भी भयभीत नहीं हुए और देवता महाराज के आशीर्वाद से बेड़े की रस्म को निभाया।

पूरी आस्था के साथ निभाता आ रहा खानदानी परंपरा
सूरत राम ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वह पूरी आस्था से खानदानी परंपरा को निभाते आए हैं। अब आयु 70 वर्ष हो चुकी है और अब यह संभव नहीं लगता कि अगली बार इस भूमिका में नजर आऊंगा। ऐसे में देवता महाराज के जिसके लिए जो आदेश होंगे, वह कैसे-कैसे परंपरा को निभाएंगे, उस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि डर से आगे आस्था है तथा वह देव आस्था में पूर्ण विश्वास रखते हैं।

3 बेटे, 1 बेटी
बेड़ा महाराज सूरत राम के 3 बेटे और 1 बेटी है। उनकी धर्मपत्नी धर्म देवी का कहना है कि इस परंपरा को निभाते हुए पूरा परिवार गर्व महसूस कर रहा है। उनके सबसे बड़े बेटे बिट्टू सेना में सेवाएं दे रहे हैं जबकि 2 बेटे हरवंत हैप्पी और नरेश पुलिस विभाग में कार्यरत हैं। इसी तरह बेटी रचना की शादी मंडी में हुई है।

खुद करते हैं रस्सी तैयार
सूरत राम ने कहा कि वह दिव्य रस्सी को 4 लोगों की सहायता से स्वयं तैयार करते हैं। इसमें महीनों लग जाते हैं। यह विशेष प्रकार की नरम घास से बनी होती है। इस दौरान देव परंपरा का पूरी तरह से पालन करना होता है।

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