Edited By Vijay, Updated: 24 Jul, 2025 09:33 PM

हिमाचल प्रदेश के स्कूल शिक्षा निदेशालय ने एक अहम निर्णय लेते हुए लैक्चरार (स्कूल न्यू) को अब कक्षा छठी से लेकर 12वीं तक पढ़ाने के निर्देश जारी किए हैं।
शिमला (ब्यूराे): हिमाचल प्रदेश के स्कूल शिक्षा निदेशालय ने एक अहम निर्णय लेते हुए लैक्चरार (स्कूल न्यू) को अब कक्षा छठी से लेकर 12वीं तक पढ़ाने के निर्देश जारी किए हैं। यह आदेश सभी सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों पर लागू होगा और इसका मकसद स्कूलों में शिक्षकों की विशेषज्ञता का अधिकतम और समुचित उपयोग सुनिश्चित करना है। निदेशालय ने इस बात पर नाराजगी जताई है कि कई शिक्षण संस्थानों में लैक्चरार (स्कूल न्यू) को केवल कक्षा 11वीं और 12वीं तक ही पढ़ाने तक सीमित कर दिया गया है। यह न केवल आर एंड पी नियमों के विरुद्ध है, बल्कि उनकी नियुक्ति की मूल शर्तों के भी खिलाफ है।
विभाग ने साफ किया है कि आर एंड पी नियमों के अनुसार लैक्चरार (स्कूल न्यू) को स्नातकोत्तर विषयों के साथ-साथ कक्षा 6वीं से 10वीं तक स्नातक स्तर के विषय पढ़ाने की पूरी पात्रता है। यही नहीं, शिक्षा कोड के मुताबिक स्कूल के प्रधानाचार्य को अधिकार है कि वह संस्थागत जरूरतों के अनुसार शिक्षण कार्य का बंटवारा करें। अब लैक्चरार को केवल 11वीं और 12वीं तक सीमित नहीं रखा जाएगा। अगर स्कूल की आवश्यकता है, तो उन्हें कक्षा 6वीं से 10वीं तक पढ़ाने की जिम्मेदारी भी दी जाएगी। यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भावना के अनुरूप है, जिसमें लचीलापन, संसाधनों का बेहतर प्रबंधन और विषय विशेषज्ञों की सहभागिता को प्रोत्साहित किया गया है। विभाग का मानना है कि विषय विशेषज्ञों को निचली कक्षाओं में पढ़ाने से विद्यार्थियों की नींव मजबूत होगी, जिससे दीर्घकालिक रूप से अच्छे शैक्षणिक परिणाम सुनिश्चित किए जा सकेंगे।
आदेशों का पालन न करने पर होगी कार्रवाई
शिक्षा निदेशालय ने सभी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों को यह स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे इस आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू करें। साथ ही यह चेतावनी भी दी गई है कि यदि भविष्य में किसी स्कूल में इन निर्देशों की अवहेलना पाई जाती है, तो उस पर प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी। यह निर्णय स्कूलों में अनावश्यक शिक्षण विभाजन को रोकने, सभी कक्षाओं में शिक्षण गुणवत्ता को सुधारने और छात्रों को समान अवसर देने के उद्देश्य से लिया गया है। विभाग ने सभी प्रधानाचार्यों से आग्रह किया है कि वे अपने विद्यालयों में शिक्षण कार्य के आवंटन में लचीलापन बरतें और छात्रों की आवश्यकताओं को प्राथमिकता दें।