Edited By Kuldeep, Updated: 28 Jul, 2025 07:22 PM

प्रदेश सरकार ने नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का संशोधन किया है। सरकार ने इसे हिमाचल प्रदेश नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिनियम -2025 नाम दिया है।
शिमला (ब्यूरो): प्रदेश सरकार ने नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का संशोधन किया है। सरकार ने इसे हिमाचल प्रदेश नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिनियम -2025 नाम दिया है। इसमें कई नए प्रावधान किए हैं। इस दौरान स्कूलों और शिक्षकों की बच्चों पर नई जिम्मेदारियां तय की गई हैं। इसके तहत 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा मिलेगी। इसके तहत शैक्षणिक वर्ष के अंत में पांचवीं और आठवीं कक्षा की नियमित परीक्षा होगी। इस परीक्षा में यदि कोई बच्चा फेल होता है तो उसे 2 महीने की अवधि में पुन: परीक्षा के लिए अवसर दिया जाएगा। इसके बाद भी यदि बच्चा फेल होता है तो उसे अगली कक्षा में जाने से रोक दिया जाएगा। इस दौरान स्कूलों को सुनिश्चित करना होगा कि बच्चों को मुफ्त पाठ्य पुस्तकें, लेखन सामग्री मिल रही है।
साथ ही स्कूल यह भी सुनिश्चित करेंगे कि स्कूलों में किसी भी छात्र के साथ जाति, वर्ग, धर्म या लिंग संबंधी भेदभाव न किया जाए। दोपहर के भोजन के दौरान, खेलों के मैदान में, सामान्य पेयजल और अन्य सुविधाओं में छात्रों के साथ भेदभाव न हो। इसके तहत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए होंगी। इससे संबंधित शिकायत के लिए प्रत्येक जिला में तीन सदस्यीय समिति बनाई जाएंगी।
समिति को अभिभावक शिकायत कर सकते हैं। इस दौरान इनकी फीस के लिए जिला उपनिदेशकों को पहली किस्त के लिए 31 जुलाई तक आवेदन करना होगा। इस दौरान विद्यालय प्रबंधन समिति की भी जिम्मेदारियां तय की गई हैं। समिति की संरचना और कार्य राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित नियमों द्वारा किए जाएंगे। विद्यालय प्रबंधन समिति विद्यालय विकास योजना तैयार करेगी, यह योजना 3 वर्ष के लिए बनाई जाएगी।
शैक्षणिक प्राधिकारी नियुक्त करेगी सरकार
इस दौरान प्रदेश सरकार जिला में शैक्षणिक प्राधिकारी नियुक्त करेगी, जो स्कूलों में समय-समय पर व्यवस्था को जांचेगा। साथ ही पाठ्यपुस्तक और अन्य शिक्षण सामग्री तैयार करेगा। इस दौरान बाल अधिकारों का संरक्षण करने के लिए भी एक प्राधिकरण कमेटी गठित की जाएगी। साथ ही राज्य सलाहकार परिषद का गठन भी होगा। इसमें शिक्षा मंत्री राज्य सलाहकार परिषद का पदेन अध्यक्ष होगा। परिषद के सदस्यों की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा प्रारंभिक शिक्षा और बाल विकास के क्षेत्र में ज्ञान और व्यावहारिक अनुभव रखने वाले व्यक्तियों से की जाएगी।