हिमाचल में स्थापित हाेगा स्मार्ट 'अर्ली वार्निंग सिस्टम".. अब AI देगा आपदा से पहले चेतावनी!"

Edited By Jyoti M, Updated: 02 Aug, 2025 02:55 PM

himachal will have a smart early warning

हिमाचल प्रदेश अब आपदाओं से लड़ने के लिए नई तकनीकों का सहारा लेगा, जिसमें कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या एआई) प्रमुख है। पिछले कुछ वर्षों में, बादल फटने और बाढ़ जैसी आपदाओं से प्रदेश को 8,000 से 10,000 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ है। अब...

हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश अब आपदाओं से लड़ने के लिए नई तकनीकों का सहारा लेगा, जिसमें कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या एआई) प्रमुख है। पिछले कुछ वर्षों में, बादल फटने और बाढ़ जैसी आपदाओं से प्रदेश को 8,000 से 10,000 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ है। अब सरकार ने इन आपदाओं से निपटने के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है, जिसका उद्देश्य जान-माल के नुकसान को कम करना है।

इस योजना के तहत, चार मुख्य उपायों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा:

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग: 980 करोड़ रुपये की लागत से एक अत्याधुनिक 'अर्ली वार्निंग सिस्टम' स्थापित किया जाएगा। यह सिस्टम एआई तकनीक से लैस होगा और पल-पल की जानकारी देगा, जिससे आपदा का पूर्वानुमान लगाना और समय पर लोगों को चेतावनी देना संभव होगा। इस परियोजना में आपदा से पहले और बाद में राहत कार्यों के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जाएगा।

जल निकासी की उचित व्यवस्था: मानसून के दौरान होने वाली आपदाओं का एक बड़ा कारण अवैध डंपिंग और जल निकासी की कमी है। इससे नालों में पानी भर जाता है और तबाही मचती है। नई योजना में जल निकासी प्रणाली को सुधारने पर जोर दिया जाएगा, ताकि बारिश का पानी आसानी से निकल सके।

भूकंपरोधी मकानों का निर्माण: हिमाचल प्रदेश भूकंप की दृष्टि से जोन चार और पांच में आता है। इसलिए, भूकंपरोधी मकान बनाने के लिए स्ट्रक्चरल डिजाइनिंग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने जापान का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां भूकंपरोधी मकानों के साथ एआई का भी उपयोग होता है।

स्वयंसेवकों का प्रशिक्षण: आपदा के समय तुरंत राहत पहुंचाने के लिए 70,000 स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। ये स्वयंसेवक गांवों में राहत और बचाव कार्यों में मदद करेंगे। पंचायती राज संस्थाओं को आपदा राहत केंद्र के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा, जहाँ इन स्वयंसेवकों को हर तरह की आपदा से निपटने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

राजस्व विभाग के विशेष सचिव और आपदा प्रबंधन के निदेशक, डीसी राणा ने बताया कि यह व्यापक योजना आपदा से पहले और बाद की स्थितियों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इसका मुख्य लक्ष्य प्रदेश को आपदाओं से सुरक्षित बनाना और नुकसान को न्यूनतम करना है।

यह योजना हिमाचल प्रदेश के लिए एक बड़ा कदम है, जो न केवल वर्तमान चुनौतियों का सामना करने में मदद करेगी, बल्कि भविष्य में भी आपदाओं से निपटने के लिए प्रदेश को और मजबूत बनाएगी।

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