दुनिया की तीन सबसे कठिन दौड़ों को पूरा करने वाले पहले भारतीय, 54 की उम्र में रचा इतिहास

Edited By Kuldeep, Updated: 21 Jul, 2025 04:05 PM

kasauli tough race indian

कसौली के राकेश कश्यप ने बैडवॉटर 135 (अमरीका), ब्राज़ील 135 और स्पार्टाथलॉन (ग्रीस) जैसे अल्ट्रामैराथन में हासिल की ऐतिहासिक सफलता।

कसौली (जितेंद्र): कसौली के राकेश कश्यप ने बैडवॉटर 135 (अमरीका), ब्राज़ील 135 और स्पार्टाथलॉन (ग्रीस) जैसे अल्ट्रामैराथन में हासिल की ऐतिहासिक सफलता। कसौली के राकेश कश्यप ने यह साबित कर दिया  कि उम्र सिर्फ एक आंकड़ा है। 54 वर्षीय राकेश कश्यप ने जिन्होंने दुनिया की सबसे कठिन मानी जाने वाली 3 अल्ट्रामैराथन दौड़ें पूरी कर भारत का नाम अंतर्राष्ट्रीय मंच पर रोशन किया है। वे बैडवॉटर 135 (अमेरिका), ब्राज़ील 135 और स्पार्टाथलॉन (ग्रीस) को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले पहले और एकमात्र भारतीय बन गए हैं। उन्होंने बताया कि बैडवॉटर 135: मौत की घाटी में जीवन की जीत कैलिफोर्निया की डेथ वैली से शुरू होकर माऊंट व्हिटनी तक 217 किलोमीटर लंबी इस रेस को दुनिया की सबसे कठिन रेस कहा जाता है। तापमान 50 डिग्री सैल्सियस से ऊपर जाता है। रास्ते में तीन पर्वत श्रृंख्लाएं पार करनी होती हैं। गौरतलब है कि राकेश कश्यप ने यह रेस 31 घंटे 24 मिनट में पूरी की जो किसी भी भारतीय निवासी द्वारा अब तक का सबसे तेज़ समय है। इसके साथ ही वे वैश्विक रैंकिंग में 19वें स्थान पर रहे।

ब्राज़ील 135: अमेजन की चुनौतियों पर विजय
ब्राज़ील की गर्म और आर्द्र जलवायु में स्थित 241 किलोमीटर की इस रेस में राकेश ने 45 घंटे 12 मिनट में दौड़ पूरी कर 2025 के संस्करण में एकमात्र भारतीय फिनिशर होने का गौरव प्राप्त किया। उन्हें विश्व स्तर पर 7वां स्थान प्राप्त हुआ। वे इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में 51 वर्ष की उम्र में 24 घंटे में सबसे अधिक दूरी (210 किमी) तय करने वाले धावक के रूप में भी दर्ज हैं।

स्पार्टाथलॉन: इतिहास की रफ्तार से वर्तमान में कदम
ग्रीस की राजधानी एथेंस से स्पार्टा तक 246 किलोमीटर की यह ऐतिहासिक रेस फिदिपिदीज़ की दौड़ को दोहराती है। सख्त समय सीमा और कठिन भूगोल वाली इस दौड़ को राकेश ने सफलतापूर्वक पूरा कर भारत का परचम वहां भी फहराया।

“अल्ट्रा ट्रिनिटी” का मुकाम हासिल
इन तीनों प्रतिष्ठित अल्ट्रामैराथन को पूरा करके राकेश ने एक अनोखा “अल्ट्रा ट्रिनिटी” पूरा किया है। जिसमें आज तक कोई भी भारतीय शामिल नहीं हो सका।

“इंसान कि कार्यक्षमता की सीमा केवल दिमाग में होती है, शरीर में नहीं : राकेश कश्यप
राकेश कश्यप ने बताया कि इन रेसों में सफलता केवल शरीर नहीं। आत्मा की परीक्षा होती है। मैंने यह साबित किया कि उम्र बाधा नहीं, प्रेरणा बन सकती है। मेरा मानना है कि ‘आप ही अपनी सीमा हैं। राकेश कश्यप की यह उपलब्धि न केवल भारतीय खेल जगत के लिए गौरव की बात है। बल्कि हर उम्र के व्यक्ति के लिए प्रेरणास्रोत भी। राकेश अभी रुके नहीं है। बल्कि आने वाले वर्षों में वे और भी अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में भाग लेकर देश का नाम रोशन करना चाहते हैं।

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!