Edited By Kuldeep, Updated: 17 Mar, 2025 07:31 PM

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) ने 48 घंटे की अखिल भारतीय हड़ताल का आह्वान किया है। इसके तहत 23 मार्च की मध्यरात्रि से 25 मार्च मध्यरात्रि तक बैंकों में हड़ताल रहेगी।
शिमला (ब्यूरो): यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) ने 48 घंटे की अखिल भारतीय हड़ताल का आह्वान किया है। इसके तहत 23 मार्च की मध्यरात्रि से 25 मार्च मध्यरात्रि तक बैंकों में हड़ताल रहेगी। शिमला में यूनाइडेट फोरम ऑफ बैंक यूनियन के पदाधिकारियों ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी है। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस एक संयुक्त निकाय है जिसमें 9 बैंक यूनियन शामिल हैं। ये यूनियन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी बैंक, विदेशी बैंक, सहकारी बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के 8 लाख से अधिक कर्मचारियों और अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करती है।
इसमें ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फैडरेशन, नैशनल कन्फैडरेशन ऑफ बैंक यूनियन, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन, बैंक इम्प्लाइज फैडरेशन ऑफ इंडिया, इंडियन नैशनल बैंक इम्प्लाइज फैडरेशन, इंडियन नैशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस, नैशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स और नैशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स यूनियन शामिल हैं। जो इस हड़ताल का समर्थन करेंगी। फोरम के पदाधिकारियों का कहना है कि बैंक यूनियनों द्वारा 48 घंटे की हड़ताल का आह्वान किया गया है। इसमें बैंकों में 5 दिन कार्य प्रणाली लागू करने, सभी संवर्गों में पर्याप्त भर्ती की जाए और अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने की प्रमुख मांगें शामिल हैं।
फोरम का कहना है कि सरकार द्वारा हाल ही में जारी प्रदर्शन समीक्षा और पीएलआई संबंधी निर्देशों को तत्काल वापस लिया जाए, क्योंकि ये बैंक कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं और भेदभाव उत्पन्न करते हैं, ऐसे में इसे वापिस लेने की मांग की गई है। इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में श्रमिक, अधिकारी निदेशकों के रिक्त पदों को भरा जाए, बैंक कर्मचारियों से संबंधित लंबित मुद्दों का समाधान किया जाए, ग्रेच्युटी अधिनियम में संशोधन कर सीमा 25 लाख की जाए और इसे आयकर से मुक्त करने समेत कई अन्य मांगों को लेकर बैंक कर्मचारी अब आंदोलन पर उतर आए हैं। 48 घंटे की हड़ताल के आह्वान के दौरान फोरम ने सभी से इसमें सहयोग की अपील की है ताकि कर्मचारियों की मांगों को पूरा किया जा सके।