Edited By Kuldeep, Updated: 18 Aug, 2025 09:35 PM

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को प्राकृतिक आपदा का मुद्दा गूंजा। विधानसभा में शोकोद्गार के बाद विपक्षी दल भाजपा ने नियम 67 के तहत काम रोको प्रस्ताव प्रस्ताव लाया, जिसे सरकार ने मंजूर कर लिया तथा इस पर चर्चा शुरू हुई।
शिमला (भूपिन्द्र): हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को प्राकृतिक आपदा का मुद्दा गूंजा। विधानसभा में शोकोद्गार के बाद विपक्षी दल भाजपा ने नियम 67 के तहत काम रोको प्रस्ताव प्रस्ताव लाया, जिसे सरकार ने मंजूर कर लिया तथा इस पर चर्चा शुरू हुई। विपक्ष की ओर से चर्चा की शुरूआत करते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार अपनी ही आपदा में फंसी हुई है। ऐसे में वह प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा से कारगर ढंग से नहीं निपट पा रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री को सलाह दी कि वह इस आपदा को रूटीन में न लें और राहत और पुनर्वास कार्य युद्धस्तर पर किए जाएं। इससे पहले आपदा पर चर्चा को लेकर सदन में कुछ देर के लिए गतिरोध भी बना रहा।
शोकोद्गार के बाद नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सदन में स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा मांगी। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया से नियम 67 के तहत चर्चा की अनुमति देने का आग्रह किया। संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि सत्तापक्ष के सदस्यों ने आपदा पर नियम 130 के तहत चर्चा का प्रस्ताव दिया हुआ है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के सदस्यों के नाम इसी प्रस्ताव में शामिल कर चर्चा शुरू करवाई जाए। हालांकि इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में कहा कि 20 से 25 मिनट के बाद इस प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है। मगर विपक्ष स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के लिए अड़ा रहा। सदन में इस मुद्दे पर दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी बात रखी।
इसी दौरान संसदीय कार्य मंत्री यह कहते सुनाई दिए कि आधा घंटे में आसमान नहीं फट रहा। विपक्ष ने उनकी इस बात को तूल देना शुरू किया। इस पर भाजपा विधायक विपिन सिंह परमार ने कहा कि यह महत्वपूर्ण विषय है। विपक्ष ने नियमों की परिधि में अपना नोटिस दिया है। चर्चा के दौरान सदस्य प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए सुझाव देंगे। इससे जनजीवन प्रभावित हुआ है। ऐसे में इस पर चर्चा होनी चाहिए। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मुद्दे की अहमियत को भांपते हुए विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा करवाने का आग्रह अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया से किया, जिसके बाद सदन का पूरा कामकाज छोड़कर आपदा पर चर्चा शुरू की गई। चर्चा की शुरूआत करते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सरकार द्वारा संशोधित राहत मैनुअल पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसमें संशोधन के बावजूद भी जनता को कोई खास राहत नहीं मिल रही है।
ऐसे में इस विशेष राहत पैकेज का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। जयराम ठाकुर ने सराज विधानसभा क्षेत्र का जिक्र करते हुए बताया कि वहां 31 लोगों की जान जा चुकी है और करीब 500 करोड़ रुपए का नुक्सान हो चुका है। लोग बेघर और भूमिहीन हो गए हैं। वे कहां जाएंगे, इसका जवाब किसी के पास नहीं है । जयराम ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि इतनी बड़ी त्रासदी के बाद भी सरकार ने सराज के लिए मात्र 2 करोड़ रुपए ही जारी किए हैं।
चर्चा में भाग लेते हुए धर्मपुर के विधायक चंद्रशेखर ने कहा कि हिमाचल जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा शिकार बन चुका है। उन्होंने मांग की कि किसी भी निर्माण कार्य से पहले ग्राम सभा से एनओसी और स्थानीय विधायक की अनुमति अनिवार्य की जाए। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष द्वारा सरकार व विधायक को आपदा कहने पर भी आपत्ति जताई तथा कहा कि आपदा एनएच व फोरलेन करने वाली कंपनियां हैं।
मंडी सदर के विधायक अनिल शर्मा ने कहा कि मंडी जिला इस आपदा में सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है। उन्होंने मंडी शहर में दो महीने से चल रही जलसंकट की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि 90 करोड़ रुपए की पेयजल योजना अब तक धरातल पर नहीं उतर सकी है। विधायक केवल सिंह पठानिया ने आपदा की गंभीरता पर चिंता जताते हुए कहा कि आज जरूरत इसकी वजह तलाशे जाने की है।
नाचन के भाजपा विधायक विनोद कुमार ने आपदा के आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार के अनुसार इस बार 318 मौतें हुई हैं , लेकिन आंकड़े इससे कहीं ज्यादा हैं। उन्होंने कहा जिनके घर पूरी तरह उजड़ गए हैं, उन्हें 7 लाख रुपए और जिनके घर आंशिक क्षतिग्रस्त हैं, उन्हें 4 से 5 लाख रुपए की राहत दी जाए।
लोगों द्वारा अपने खर्च पर लगाई मशीनरी के बिल कांग्रेस के लोग बनवा रहे अपने नाम से
जयराम ठाकुर ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस नेता और ठेकेदार आपदा के नाम पर भ्रष्टाचार में जुटे हैं। भाजपा कार्यकर्त्ताओं और आम लोगों द्वारा अपने खर्च पर लगाई गई मशीनरी के बिल भी कांग्रेस के लोग अपने नाम से बनवा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने थुनाग से बागवानी कॉलेज के स्थानांतरण के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह निम्न स्तर की राजनीति है। उन्होंने इस फैसले का विरोध कर रहे लोगों पर एफआईआर दर्ज करने की भी निंदा की।
डंपिंग के लिए बनाई जाए पॉलिसी: सुरेश
विधायक सुरेश कुमार ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि लगातार प्रदेश में बादल फटने, बाढ़ आने की घटनाएं घट रही हैं। वर्ष 2023 में भी सरकार ने मुस्तैदी के साथ काम किया था। इसी तरह वर्ष 2024 में भी सरकार ने अपनी पूरी जिम्मेदारी के साथ काम किया। वर्ष 2025 में भी सरकार बसाने के लिए वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि डंपिंग के लिए सरकार को पॉलिसी बनानी चाहिए। जल निकासी के लिए भी नियम बनाए जाने चाहिए, ताकि पानी निकासी सही हो और नुक्सान कम हो।
राहत देने से पहले स्थानीय जनप्रतिनिधियों से जरूर चर्चा करें : हंसराज
चर्चा में भाग लेते हुए चुराह विधायक डा. हंसराज ने कहा कि सरकार गंभीर नहीं है। अधिकारी दीर्घा में सचिव स्तर का कोई भी अधिकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि चम्बा में भी 100 करोड़ रुपए का नुक्सान हुआ है। उन्होंने कहा कि पांगी का रास्ता सही से खुल नहीं पाया है। उन्हाेंने कहा कि राहत देने से पहले स्थानीय जनप्रतिनिधियों से जरूर चर्चा करें, ताकि जरूरतमंदों तक राहत पहुंच सके।