AC कमरे छोड़ अब फील्ड में उतरेंगे कृषि विशेषज्ञ, प्रदेश सरकार ने लिया बड़ा निर्णय

Edited By Kuldeep, Updated: 16 Jun, 2024 06:57 PM

shimla agriculture expert field

हिमाचल प्रदेश में कृषि विशेषज्ञों की एसीआर में उनकी फील्ड में प्रोग्रैस रिपोर्ट भी जुड़ेगी। ऐसे में अब उन्हें अपने कार्यालय के एसी कमरे में बैठकर नहीं फील्ड में जाकर कार्य करना होगा व किसानों से संवाद करना होगा।

शिमला (भूपिन्द्र): हिमाचल प्रदेश में कृषि विशेषज्ञों की एसीआर में उनकी फील्ड में प्रोग्रैस रिपोर्ट भी जुड़ेगी। ऐसे में अब उन्हें अपने कार्यालय के एसी कमरे में बैठकर नहीं फील्ड में जाकर कार्य करना होगा व किसानों से संवाद करना होगा। इससे संबंधित निर्णय प्रदेश सरकार ने लिया है तथा ये आदेश कृषि विभाग को जारी किए हैं। साथ ही फील्ड में इन विशेषज्ञों के कार्य का आकलन करने के लिए पूरी योजना भी तैयार की है। सरकार व कृषि विभाग के पास लगातार शिकायतें आ रही थी कि अधिकांश अधिकारी किसानों को उनकी जरूरत के अनुसार उपलब्ध नहीं हो पा रहे। इसे देखते हुए सरकार ने निर्णय लिया है कि अब विभाग का कोई भी फिल्ड अधिकारी अब ऑफिस में बैठककर योजनाएं तैयार नहीं करेगा।

उसे फील्ड में उतर कर किसानों सें संवाद करना होगा। अधिकारी जितना ज्यादा किसानों से मिल कर उनसे बात करेगा इससे उसकी तरक्की निर्भर होगी। ऐसे में कृषि विशेषज्ञ या फील्ड अधिकारियों को अपने क्षेत्र से संबंधित फसल का पूरा शैड्यूल यानी वर्क प्लान तैयार करना होगा, जहां पर वे तैनात हैं। उन्हें वहां पर पैदा होने वाली नकदी के साथ-साथ अन्य फसलों का भी शैड्यूल तैयार करना होगा। इसके बाद संबंधित अधिकारी को बीज को खेतों में बोने से लेकर तब तक फील्ड में डटना होगा, जब तक कि किसानों की फसल तैयार न हो जाए।

सरकारी योजनाएं भी पहुंचेंगी किसानों तक
आम तौर पर देखा गया है कि किसानों तक सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं पहुंच पाती है। इससे वह सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं लेकिन यदि अधिकारी फील्ड में जाएंगे तो किसानों को योजनाओं की पूरी जानकारी मिल पाएगी तथा वह सरकारी सुविधाओं को लाभ भी उठा पाएंगे।

दवाई माफिया से भी बचेंगे किसान-बागवान
कृषि विशेषज्ञों के फील्ड में उतरने से किसान व बागवान स्प्रे की दवाई माफिया से भी बचेंगे। आम तौर पर दवाई माफिया अपने हित में किसानों व बागवानों को उन दवाइयों की स्पे करने के लिए कहते हैं, जिनसे उन्हें अधिक मुनाफा होता है तथा जिनकी क्वालिटी भी अच्छी नहीं होती है। इससे किसानों व बागवानों को नुक्सान होता है लेकिन कृषि विशेषज्ञों के फील्ड में रहने से ऐसा नहीं होगा। किसान आसानी से उनसे स्पे की दवाइयों के बारे में सलाह लें सकेंगे। ऐसे में वे अनावश्यक दवाइयों के प्रयोग से भी बचेंगे।

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