कसोल के जंगल में Rave Party, एक रात में खपी नशे की बड़ी खेप!

Edited By Vijay, Updated: 29 May, 2019 11:02 PM

rave party in kasol

कसोल के जंगल में बीते रोज एक ही रात में नशे की बड़ी खेप खप गई। इस कारनामे की नशा माफिया ने किसी को कानोंकान खबर तक नहीं लगने दी। जब तक पुलिस वहां पहुंची तब तक नशा माफिया लाखों रुपए बटोरकर फुर्र हो चुका था। बताया जा रहा है कि कसोल के जंगल में आयोजित...

कुल्लू: कसोल के जंगल में बीते रोज एक ही रात में नशे की बड़ी खेप खप गई। इस कारनामे की नशा माफिया ने किसी को कानोंकान खबर तक नहीं लगने दी। जब तक पुलिस वहां पहुंची तब तक नशा माफिया लाखों रुपए बटोरकर फुर्र हो चुका था। बताया जा रहा है कि कसोल के जंगल में आयोजित इस रेव पार्टी में 500 से अधिक विदेशी सैलानियों ने हिस्सा लिया। डी.जे. की धुन पर विदेशी सैलानी नशे में पूरी रात झूमते रहे। जंगल में कोलाहल को देखते हुए पहले तो लोगों को शक हुआ लेकिन बाद में शक यकीन में बदल गया।

कुछ ही घंटों में ठिकाने लगाई नशे की बड़ी खेप

लोगों का कहना है कि पुलिस को इस संदर्भ में दूरभाष पर सूचित भी किया लेकिन कई घंटों तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। पुलिस विभाग को सूचित किए जाने के बावजूद जंगल में कोलाहल नहीं थमा और विदेशी झूमते रहे। नशा माफिया ने एक सुनियोजित प्रक्रिया के तहत रेव पार्टी का आयोजन किया। इस आयोजन में कुछ ही घंटों में नशे की बड़ी खेप ठिकाने लग गई। इन नशों में चरस तो एक आम नशा रहा। इसके अलावा ब्राऊन शूगर, कोकीन, स्मैक, एल.एस.डी. व डॉप सहित अन्य खतरनाक नशों की भी इस दौरान बड़े पैमाने पर खपत हुई।

बार-बार सूचित करने के बावजूद देर से पहुंची पुलिस

लोगों का कहना है कि बार-बार सूचित किए जाने के बावजूद पुलिस मौके पर नहीं पहुंची। इससे दाल में कुछ काला प्रतीत हो रहा है। जब पुलिस पहुंची तब तक देर हो चुकी थी और माफिया ने लाखों रुपए बटोर कर अपने काम को अंजाम दे दिया था।

क्या है रेव पार्टी

रेव पार्टी के लिए माफिया जंगल में किसी हिस्से की बाड़बंदी करता है। उस बाड़बंदी के बाद चिन्हित हिस्से को सजाया जाता है और उस जगह एंट्री के लिए एक ही रास्ता रखा जाता है। रेव पार्टी वाले उस चिन्हित स्थान में एंट्री के लिए ही 3000 से 5000 रुपए तक वसूले जाते हैं। पूरे बाड़बंदी के भीतर बाजार में 20 रुपए में मिलने वाली पानी की बोतल 50 से 60 रुपए में मिलती है। 20 रुपए की कोल्ड ड्रिंक के 60 रुपए वसूले जाते हैं। कई बार तो 20 रुपए की चीज ऐसी जगह 100 रुपए में बेची जाती है। नशे की अंधाधुंध बिक्री अलग से होती है। माफिया का असली मकसद नशे के दम पर कुछ घंटों में ही लाखों रुपए बटोरना होता है।

क्या कहते हैं ए.एस.पी. कुल्लू

ए.एस.पी. कुल्लू राजकुमार चंदेल ने बताया कि जंगल में शोर-शराबे की शिकायत मिली थी। इस पर पुलिस की टीम को मौके पर भेजा गया था। वहां पर रेव पार्टी जैसा कुछ भी नहीं पाया गया। आजकल पर्यटक बड़ी संख्या में कुल्लू-मनाली आ रहे हैं। कई बार पर्यटक जंगल में जाकर शोर आदि मचाते हैं। कसोल के जंगल में भी कुछ पर्यटक गए होंगे।

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