Edited By Rahul Rana, Updated: 26 Jul, 2024 11:40 AM
शहीदों को सम्मान देने के सरकारी और प्रशासनिक दावों की पोल खुल रही है और एस भावुक घटना ने सभी को प्रभावित कर दिया है। बता दें कि मंडी के बल्ह क्षेत्र से 10 जून 1999 को कारगिल में शहीद की मूर्ति को स्कूल में स्थापित करने की अनुमति तक नहीं मिली है।
मंडी: शहीदों को सम्मान देने के सरकारी और प्रशासनिक दावों की पोल खुल रही है और एस भावुक घटना ने सभी को प्रभावित कर दिया है। बता दें कि मंडी के बल्ह क्षेत्र से 10 जून 1999 को कारगिल में शहीद की मूर्ति को स्कूल में स्थापित करने की अनुमति तक नहीं मिली है। शहीद सिपाही तेग सिंह मस्ताना कारगिल युद्ध के दौरान नदी पार करते समय दुश्मन की गोली से 32 साल की उम्र में शहीद हुए थे।
कई सालों के बाद शहीद की मूर्ति 5 जुलाई 2021 को प्रशासन ने स्याहं में स्थापित की है, मगर परिजन और शहीद की पत्नी ने इसका विरोध किया। इसे किसी दूसरे की मूर्ति कहकर इसे लगाने से इनकार कर दिया। जिसके बाद शहीद की पत्नी बीना देवी ने अपने खर्चे से करीब दो लाख रुपये की मूर्ति बनाई। पत्नी बीना देवी ने प्रशासन से इसे स्थानीय टांवा स्कूल में मूर्ति लगाने की बार-बार गुहार लगाई लेकिन उसकी मांग को पूरा नहीं किया। आज उनके शहीद पति की मूर्ति उनके घर पर ही रखी हुई है।
तीन बेटियां, एक बेटा किसी को भी नहीं मिली नौकरी
बीना ने बताया कि अब उनकी उम्र 54 वर्ष है। उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है। आज तक किसी को भी नौकरी नहीं मिली है। सबसे बड़ी बेटी कुसुम लता 32 ने जीएनएम किया है, दूसरी बेटी कमलेश कुमारी 30 ने बीएससी नर्सिंग की है, तीसरी बेटी नेहा कुमारी 28 ने बी फार्मेसी की है तथा और बेटे विपिन 26 ने आईटीआई मेकेनिकल की है।