Mandi: थमलाह की हीरामणि ने हथकरघा से महिलाओं को दिया स्वरोजगार, आत्मनिर्भरता की बनीं मिसाल

Edited By Vijay, Updated: 05 Jan, 2025 03:17 PM

heramani became an example of self reliance

मंडी जिला के थमलाह गांव की हीरामणि जो पहले एक सामान्य गृहिणी थीं, आज अपनी मेहनत और हुनर से न केवल अपने परिवार का आर्थिक सहयोग कर रही हैं, बल्कि कई महिलाओं को भी स्वरोजगार से जोड़ने का कार्य कर रही हैं।

मंडी (ब्यूरो): मंडी जिला के थमलाह गांव की हीरामणि जो पहले एक सामान्य गृहिणी थीं, आज अपनी मेहनत और हुनर से न केवल अपने परिवार का आर्थिक सहयोग कर रही हैं, बल्कि कई महिलाओं को भी स्वरोजगार से जोड़ने का कार्य कर रही हैं। वह अब हथकरघा उद्योग के क्षेत्र में एक प्रेरणा बन चुकी हैं। हीरामणि ने बताया कि लगभग अढ़ाई दशक से वह घर में खड्डी का काम करती थीं। 2021 में जब उन्होंने हिमाचल प्रदेश हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम से संपर्क किया तो उनके लिए यह शौक एक व्यवसाय में बदल गया। निगम द्वारा मास्टर ट्रेनर के रूप में नियुक्त होने के बाद उन्होंने स्यांज क्षेत्र की 8 महिलाओं को खड्डी पर बुनाई का प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को खड्डी और प्रोत्साहन राशि भी दी गई। आज हीरामणि किन्नौरी और कुल्लू शैली की शॉल व मफलर तैयार करके हर महीने 15 से 20 हजार रुपए कमा रही हैं और परिवार की आर्थिकी में सहयोग कर रही हैं।  यही नहीं, उनकी प्रशिक्षित महिलाएं भी इस हुनर से जुड़कर अपनी खुद की आमदनी कमा रही हैं।
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स्यांज गांव की भूपेंद्र कुमारी, नीलम और ग्वाड़ गांव की उमा देवी भी इस प्रशिक्षण से लाभान्वित हुई हैं। भूपेंद्र कुमारी जो एक गरीब किसान परिवार से हैं, वह भी खड्डी पर काम करके हर महीने 10 हजार रुपए कमा रही हैं। नीलम ने भी अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद इस काम में रुचि ली और अब वे शॉल और मफलर बनाकर 8 से 10 हजार रुपए कमा रही हैं। हीरामणि ने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण व हथकरघा के माध्यम से घर-द्वार पर रोजगार देने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा जारी योजनाएं सराहनीय हैं। इससे महिलाएं स्वरोजगार से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही हैंऔर नए रोजगार के अवसरों की दिशा में सफलता की नई कहानी लिख रही हैं।

हस्तशिल्प और हथकरघा निगम के सहायक प्रबंधक अक्षय सिंह डोट ने बताया कि प्रदेश सरकार हथकरघा व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए निगम के माध्यम से लघु अवधि के विभिन्न प्रशिक्षण प्रदान करती है। जिला में हाल ही में 90 से अधिक लोगों को एक साल का हथकरघा बुनाई का प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण के दौरान लगभग 30 लाख रुपए से अधिक की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की गई है।
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