Edited By Vijay, Updated: 01 Jun, 2025 07:32 PM

हिमाचल प्रदेश में अराजकता का माहौल है। उपमुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक व अधिकारी सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नियंत्रण में नहीं हैं। सरकार चलाना उनके बस की बात नहीं रही है, ऐसे में उन्हें नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र दे देना चाहिए।
शिमला (भूपिन्द्र): हिमाचल प्रदेश में अराजकता का माहौल है। उपमुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक व अधिकारी सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नियंत्रण में नहीं हैं। सरकार चलाना उनके बस की बात नहीं रही है, ऐसे में उन्हें नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र दे देना चाहिए। यह बात नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कही। उन्होंने कहा कि डीजीपी सेवानिवृत्त हुए तथा रस्म के मुताबिक उन्हें परेड दी जाती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। डीजीपी ने सेवानिवृत्त होने से पहले डीजीपी डिस्क पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रदान किए, जिसे नए डीजीपी ने रद्द कर दिए। जो राज्य में अराजकता व पूर्व रूप से संवेधानिक विफलता व संकट को दर्शाता है। ऐसे में सीएम का सत्ता में बने रहने का क्या औचित्य है, जब उनकी बात कोई मान नहीं रहा है तथा उनके नियंत्रण में कुछ नहीं है।
आखिर एक अधिकारी के सामने इतने विवश क्यों हैं मुख्यमंत्री?
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश में कोई भी मुख्यमंत्री की बात नहीं मान रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश सरकार को शिमला के एसपी चला रहे हैं और पूरी मनमर्जी कर रहे हैं। इसके बावजूद सरकार उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री से पूछा कि आखिर वह एक अधिकारी के सामने इतने विवश क्यों हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं? नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर नियंत्रण खो देने के कारण हताशा और निराशा में है और बौखलाहट में उलटे-सीधे फैसले ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालना सुक्खू के बस की बात नहीं है तो उन्हें तुरंत पद छोड़ देना चाहिए तथा इसके आनंद की अनुभूति लेनी चाहिए, कि मुझसे सरकार नहीं चली इसलिए पद छोड़ दिया।
एसपी द्वारा हाईकोर्ट में एलपीए दाखिल करने के पीछे सरकार का हाथ
जयराम ने आरोप लगाया कि शिमला के एसपी संजीव गांधी द्वारा विमल ने की मामले में की गई पत्रकार वार्ता मुख्यमंत्री के इशारे पर हुई है, क्योंकि मुख्यमंत्री ने ही पहले सार्वजनिक तौर पर घोषणा की थी कि सरकार इस मामले में हाईकोर्ट के सीबीआई जांच के फैसले का विरोध नहीं करेगी। बावजूद इसके शिमला के एसपी ने किस आधार पर हाईकोर्ट में एलपीए दाखिल की। उन्होंने पूछा कि क्या यह सब मुख्यमंत्री की जानकारी में नहीं था? नेता प्रतिपक्ष ने यह भी पूछा कि क्या एसपी शिमला ने एलपीए दाखिल करने से पहले सरकार से अनुमति ली थी? जयराम ने यह भी आरोप लगाया कि शिमला के एसपी संजीव गांधी द्वारा प्रदेश हाईकोर्ट में एलपीए दाखिल करने के पीछे सरकार का हाथ है और यह सब मुख्यमंत्री की सलाह से ही किया गया है।
सीबीआई जांच में सहयोग करे सरकार
जयराम ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार विमल नेगी मौत मामले में सीबीआई जांच में सहयोग नहीं कर रही है। उन्होंने सरकार से सीबीआई जांच में सहयोग की मांग की और कहा कि सरकार तुरंत सीबीआई को इस मामले से जुड़े दस्तावेज उपलब्ध करवाए। उन्होंने सबूतों को नष्ट करने के प्रयास करने का भी अंदेशा जताया। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि सरकार सीबीआई जांच से विचलित हो गई है।
छोटे-छोटे मामलों में की जा रही एफआईआर
जयराम ने कहा कि राज्य में नया दौर आ गया है। नेताओं, पंचायत प्रतिनिधियों व पत्रकारों पर छोटे-छोटे मामलों में एफआईआर दर्ज की जा रही है। उन्होंने कहा कि पिछले दौर हमने देखा है, जब राजनीतिक मामले दर्ज करने का सिलसिला चलता था। लेकिन हमने गत 5 वर्ष में इस सिलसिले को बंद किया, ताकि प्रदेश के विकास में हम फोकस होकर काम कर सकें। लेकिन अब यह नया दौर आ गया है। ऐसा कर सीएम क्या हासिल करने वाले हैं? ऐसे में साफ है कि इस तरह के कदम निराशा में उठाए जाते हैं।
पेखुवाला सोलर प्लांट बना भ्रष्टाचार का नया समारक
जयराम ने कहा कि पेखुवाला सोलर प्लांट भ्रष्टाचार का नया स्मारक बन गया है। अब सीबीआई जांच से प्लांट में हुए भ्रष्टाचार में संलिप्त नेताओं और अधिकारियों में छटपटाहट है तथा लगातार सबूत मिटाने में जुटे हैं। कालाअंब में अवैध शराब फैक्टरी का मामला 100 करोड़ से अधिक है, जिसमें मुख्यमंत्री कार्यालय का अधिकारी शामिल बताया जा रहा है। इस मामले में कई शिकायतें हुई लेकिन एक भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई। यहां पर मौके से 4 लाख की महंगी शराब के रैपर बरामद हुए, फिर इस मामले को क्याें दबाया जा रहा है?
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