Chamba: अब इमारती लकड़ी की मार्कीट फीस वसूलेगी एपीएमसी,फीस अदा न करने पर बैरियर पर जब्त की जाएंगी गाड़ियां

Edited By Kuldeep, Updated: 10 Mar, 2025 05:14 PM

now apmc will collect market fee for timber

जिला चम्बा से निर्यात होने वाली इमारती लकड़ी की भी अब मार्कीट फीस वसूली जाएगी। इसके लिए मार्कीट कमेटी ने बाकायदा प्रस्ताव पास कर दिया है और इसकी प्रतिलिपि वन विभाग व वन निगम को भेज दी है।

चम्बा (काकू): जिला चम्बा से निर्यात होने वाली इमारती लकड़ी की भी अब मार्कीट फीस वसूली जाएगी। इसके लिए मार्कीट कमेटी ने बाकायदा प्रस्ताव पास कर दिया है और इसकी प्रतिलिपि वन विभाग व वन निगम को भेज दी है। मार्कीट फीस जमा न करवाने पर लकड़ी लेकर जा रहीं गाड़ियों को नाकों पर जब्त कर लिया जाएगा। यह बात जिला मार्कीट कमेटी के चेयरमैन ललित ठाकुर ने जिला मुख्यालय चम्बा में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही।

उन्होंने कहा कि चम्बा जिले से इमारती लकड़ी नूरपुर जाती है, लेकिन मार्कीट कमेटी को इसकी एवज में चम्बा को चवन्नी भी नहीं मिलती। इस संबंध में वन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक से 2 बार पत्राचार किया जा चुका है। जोनल डायरैक्टर को भी अवगत करवाया गया, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। इसके चलते अब मार्कीट कमेटी ने निर्णय लिया है कि कंपाऊंडिंग शुरू करेंगे।
फीस न देने पर जिले के प्रवेश द्वारा तुनुहट्टी व अन्य स्थानों पर लगने वाले नाकों पर गाड़ियां जब्त की जाएंगी। यही नहीं, डमटाल से जो माल आता है उसकी भी जिला मार्कीट कमेटी को एक फीसदी फीस मिलनी चाहिए। वर्तमान में इसकी फीस कांगड़ा को मिलती है, जिससे चम्बा को घाटा हो रहा है। कांगड़ा डमटाल से व्यापारियों के जो बिल आते हैं, उनमें राशि दर्ज नहीं होती। एपीएमसी कांगड़ा को राशि दर्ज करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि एपीएमसी को बैरियर पर 1 फीसदी मार्कीट फीस मिलती है, लेकिन माल कम दर्शाकर व्यापारी व ठेकेदार एपीएमसी को चूना लगा रहे थे। अब एपीएमसी की सख्ती के बाद नियमों के तहत मार्कीट फीस चुकाना शुरू कर दिया है।

एपीएमसी सचिव ने सभी व्यापारियों को निर्देश दे दिए हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में अब चम्बा के बैरियर पर तैनात कर्मचारियों को कंपाऊंडिंग के निर्देश दे दिए गए हैं। ललित ठाकुर ने कहा कि जब उन्होंने चेयरमैन का कार्यभार संभाला तो एपीएमसी की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। इसके चलते कुछ ऐसे निर्णय लेने पड़े जिससे आर्थिक स्थिति में सुधार हो। उन्होंने कहा कि सबसे पहले उन्होंने चम्बा से बाहरी राज्यों में जा रही कसमल की गाड़ियों को चैक किया। उन्होंने कहा कि कसमल का सिर्फ 5 मीट्रिक टन का ही बिल बनाया जाता है। जब गाड़ी का आरटीओ के कांटे पर भार चैक किया तो 12 मीट्रिक टन माल लोड मिला। उसके बाद अब 9 मीट्रिक टन माल की मार्कीट फीस ली जा रही है। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे मार्कीट कमेटी की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। 31 मार्च तक एपीएमसी 150 करोड़ रुपए तक राजस्व प्राप्त कर लेगी।

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