माता हिडिम्बा कुल्लू दशहरा के लिए रवाना, 7 दिन तक रहेगी अस्थायी शिविर में

Edited By prashant sharma, Updated: 14 Oct, 2021 03:45 PM

mata hidimba leaves for kullu dussehra

कुल्लू घाटी में दशहरे के पर्व का संस्कृति एवं ऐतिहासिक बहुत महत्व है। हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू में दशहरा एक दिन का नहीं बल्कि सात दिन का त्यौहार है और इसकी विशेषता यह है कि जब पूरे भारत वर्ष में दशहरा खत्म होता है

कुल्लू (दिलीप) : कुल्लू घाटी में दशहरे के पर्व का संस्कृति एवं ऐतिहासिक बहुत महत्व है। हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू में दशहरा एक दिन का नहीं बल्कि सात दिन का त्यौहार है और इसकी विशेषता यह है कि जब पूरे भारत वर्ष में दशहरा खत्म होता है तब कुल्लू दशहरे का शुभारम्भ होता है। दशहरे में घाटी के सभी देवी देवता सैकण्डों की संख्या में भाग लेते है और सभी देवी देवताओं की इस महाकुम्भ में अहम भूमिका रहती हैं। इन्ही में से एक है पर्यटन नगरी मनाली की आराध्य देवी माता हिडिम्बा। माता हिडिम्बा की दशहरे में अहम भूमिका रहती है। माता हिडिम्बा को राजघराने की दादी भी कहा जाता है। कुल्लू दशहरा देवी हडिम्बा के आगमन से शुरू होता है। पहले दिन देवी हडिम्बा का रथ कुल्लू के राजमहल में प्रवेश करता है। यहां माता की पूजा अर्चना के बाद रघुनाथ भगवान को भी ढालपुर में लाया जाता है। जहां से सात दिवसीय दशहरा उत्सव शुरू हो जाता है और माता अगले सात दिनों तक अपने अस्थायी शिविर में ही रहती है और लंका दहन के पश्चात ही अपने देवालय वापिस लौटती है।

कल से आरम्भ होने वाले देव महाकुम्भ के लिए आज देवी हिडिम्बा अपने कारकूनों वह हरियानों के साथ दशहरे में भाग लेने के लिए अपने स्थान मनाली से निकल पड़ी हैं। हालांकि इस बार भी कुल्लू दशहरा में कोरोना वायरस का असर साफ देखा जा रहा है। प्रशासन के द्वारा कुल्लू दशहरा में इस बार सिर्फ देवी देवाताओं को ही आने की अनुमित दी गई है। हिडिम्बा माता के कारदार रद्युवीर नेगी और देवी चंद ने बताया कि माता आज रात कुल्लू पहुंचेगी और कल प्रातः देवी हिडिम्बा जब कुल्लू पहुंचेगी तो वहां पर देवी माँ हिडिम्बा का स्वागत किया जाएगा और फिर वहां पर भगवान रघुनाथ जी की छड़ी माता को लेने के लिए रामशिला नामक स्थान पर लाई जाएगी जहां से फिर माता भगवान रघुनाथ के मन्दिर के प्रस्थान करेंगी। माता के वहां पर पहुंचने पर पूरे रीति रिवाज से माता की पूजा अर्चना की जाएगी। इसके पश्चात ही भगवान रद्युनाथ अपने मन्दिर से बाहर आएंगें और फिर भगवान रघुनाथ और सभी देवी देवता रथ मैदान के लिए रवाना होंगे, जहां से भगवान रघुनाथ की शोभायात्रा आरम्भ होनी है और उसके बाद कुल्लू दशहरे या फिर हम कहें देव महाकुम्भ का आगाज होगा। उन्होंने कहा कि प्रशासन के द्वारा सभी लोगों से भी अपील की गई है कि जो भी व्यक्ति देवी देवताओं के साथ कुल्लू दशहरा में आ रहे वह वैक्सीन की दोनों डोज अवश्य लगवाएं। उन्होंने कहा कि पतलीकुहल और ढालपुर में प्रशासन के द्वारा वैक्सीन की दूसरी डोज लगाने के लिए कैम्पों का भी आयोजन किया गया है।
 

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