Edited By Rahul Singh, Updated: 04 Aug, 2024 02:21 PM
चौहार घाटी के राजबन गांव में 80 घंटे तक रेस्क्यू अभियान चला ओर अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक शव बड़ी चट्टान के नीचे दबा हुआ मिलने के बाद आशंका जताई जा रही है कि अधिकांश लोग चट्टानों के नीचे ही दबे हैं। पत्थर के आस-पास के मलबे को हटाने में...
मंडी। चौहार घाटी के राजबन गांव में 80 घंटे तक रेस्क्यू अभियान चला ओर अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक शव बड़ी चट्टान के नीचे दबा हुआ मिलने के बाद आशंका जताई जा रही है कि अधिकांश लोग चट्टानों के नीचे ही दबे हैं। पत्थर के आस-पास के मलबे को हटाने में समय लग रहा है। गांव में पूरी तरह सन्नाटा छाया हुआ है और हर आंख अपनों के शव के मिलने का इंतजार कर रही है।
लोगों की अपनों की तलाश में भूख, प्यास और नींद सब कुछ खत्म हो गई है। जैसे ही कोई शव मिलता है तो पूरा गांव चीखों से गूंजने लगता है। गांव और रिश्तेदार लोग परिवार को निरंतर ढांढस बंधा रहे हैं। रिश्तेदार और गांव के लोग उन्हें जैसे तैसे खाना खिला रहे हैं।
एक पल में खत्म हो गया सब कुछ
गांव निवासी चंदन लाल ने बताया कि उनका हंसता खेलता परिवार था। परिवार के कुछ लोग राजबन और कुछ तेरंग गांव में रहते हैं। आपदा ने परिवार के सदस्यों को ताउम्र के लिए जख्म छोड़ दिए हैं। चंदन लाल ने कहा कि अभी भी परिवार के चार सदस्य लापता चल रहे हैं।
नम आखों ने विदा किए दोनों मासूम
राजबन गांव में दो बच्चों के शवों के अंतिम संस्कार के वक्त पूरा गांव और सगे संबंधी रोने लगे। पेशे के लिए घर से बाहर गए दोनों बच्चों के पिता खेम सिंह और ज्ञान चंद गांव पहुंचे। अपना सब कुछ उजड़ा देखकर वह अंदर तक टूट चुके हैं। दोनों भाइयों का आपस में लिपट कर रो रो कर बुरा हाल है। आवाजें देकर वह अपने परिवार को बुलाते रहे। अमन और आर्यन का अंतिम संस्कार गांव से नीचे श्मशानघाट पर किया गया।