Edited By Kuldeep, Updated: 13 Dec, 2024 08:55 PM
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी, आईआईटी मंडी और सैंटर फाॅर स्टडी ऑफ साइंस टैक्नोलाॅजी एंड पॉलिसी (सीएसटीईपी) बेंगलुरु के सहयोग से भारत के लिए जिला स्तरीय जलवायु...
जिला स्तरीय जलवायु जोखिम आकलन रिपोर्ट जारी
मंडी (ब्यूरो): जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी, आईआईटी मंडी और सैंटर फाॅर स्टडी ऑफ साइंस टैक्नोलाॅजी एंड पॉलिसी (सीएसटीईपी) बेंगलुरु के सहयोग से भारत के लिए जिला स्तरीय जलवायु जोखिम आकलन आईपीसीसी फ्रेमवर्क का उपयोग करके बाढ़ और सूखे के जोखिमों का मानचित्रण रिपोर्ट जारी की गई। आईआईटी मंडी के शोधकर्त्ता डा. श्यामाश्री दासगुप्ता ने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार भारत के 51 जिलों में बाढ़ का खतरा बहुत अधिक है जबकि 118 और जिलों को उच्च जोखिम की श्रेणी में रखा गया है। संवेदनशील क्षेत्रों में असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, ओडिशा और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं जबकि 91 जिलों को अत्यंत उच्च सूखे के जोखिम वाले जिलों के रूप में चिन्हित किया गया है।
इसके अलावा 188 जिलों को उच्च सूखे के जोखिम का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें मुख्य रूप से बिहार, असम, झारखंड, ओडिशा और महाराष्ट्र शामिल हैं। चिंताजनक बात यह है कि पटना (बिहार), अलपुझा (केरल) और केंद्रपाड़ा (ओडिशा) सहित 11 जिले बाढ़ और सूखे दोनों के लिए बहुत उच्च जोखिम में हैं जिसके लिए तत्काल हस्तक्षेप आवश्यक है। यह अध्ययन जलवायु संबंधी खतरों, जोखिम और संवेदनशीलता को एकीकृत करता है ताकि जिला स्तरीय जोखिमों का व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया जा सके।
डा. श्यामाश्री ने बताया कि इस शोध परियोजना ने हमें बाढ़ और सूखे के जोखिम से संबंधित अखिल भारतीय जिला स्तरीय मानचित्र विकसित करने और जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों की पहचान करने में मदद की। राज्यों ने भी अपने-अपने राज्यों के लिए जोखिम आकलन तैयार किए हैं। यह पहल अत्याधुनिक शोध और नवाचार के माध्यम से जलवायु चुनौतियों का समाधान करने के लिए आईआईटी गुवाहाटी की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।