Edited By Vijay, Updated: 29 Jul, 2025 05:19 PM

जिला कुल्लू और मंडी की सीमा पर स्थित धार क्षेत्र में प्रतिवर्ष सावन के महीने में आयोजित होने वाले धारा रा काहिका उत्सव का आयोजन किया गया। यह धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का मेला है।
कुल्लू (दिलीप): जिला कुल्लू और मंडी की सीमा पर स्थित धार क्षेत्र में प्रतिवर्ष सावन के महीने में आयोजित होने वाले धारा रा काहिका उत्सव का आयोजन किया गया। यह धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का मेला है। इस मेले में माता फुंगणी, देवता पंचाली नारायण, दलीघाट की माता और चौहार घाटी की माता फुंगणी सहित अन्य देवी-देवताओं के कारकूनों ने हार मिलन कर पारंपरिक देव आदेशों और धार्मिक कर्तव्यों का पालन किया। वहीं पुरोहित और नड़ की अहम भूमिका रही। मेले के दौरान माता फुंगणी ने अपनी भविष्यवाणी में क्षेत्र के पवित्र स्थलों से छेड़छाड़ और उनकी अवमानना पर गहरी नाराजगी जताई और कहा कि देवी-देवताओं के पवित्र स्थलों को पर्यटक स्थल बनाया जाए अन्यथा मानव जाति दंड भुगतने के लिए तैयार रहे।
माता ने स्पष्ट निर्देश दिए कि जो जोत में पशु धन छोड़ गया है, उसे भी 7 दिन के भीतर ले जाएं अन्यथा मानव जाति के लिए अच्छा नहीं होगा। यदि मानव जाति देव नीति के अनुरूप चलेगी तो आने वाला समय सुख-समृद्धि और शांति से भरा होगा और अगर ऐसा नहीं हुआ तो दैवीय प्रकोप का सामना करना पड़ेगा, साथ ही माता ने विशेष रूप से प्राचीन एवं पवित्र स्थानों को छेड़ने से रोकने के आदेश दिए, ताकि धार्मिक श्रद्धा और सांस्कृतिक विरासत सुरक्षित रह सके। वहीं माता के कारदार रामलाल ने बताया कि धारा रा काहिका पूरी विधि-विधान के साथ हुआ है। उन्हाेंने बताया कि माता ने गुर के माध्यम से भविष्यवाणी करते हुए कहा है कि हिमाचल देवभूमि है और अगर देवी-देवताओं का कहना मानेंगे तो आने वाला समय मानव जाति के लिए अच्छा रहेगा।