Edited By Vijay, Updated: 15 Oct, 2024 01:17 PM
हिमाचल प्रदेश में बायो इंजीनियरिंग से भूस्खलन को रोका जाएगा। इसके लिए लोक निर्माण विभाग के बागवानी विंग ने साऊथ जोन यानि 3 जिलों सोलन, शिमला व सिरमौर में 40 साइटें चिन्हित की हैं।
शिमला (भूपिन्द्र): हिमाचल प्रदेश में बायो इंजीनियरिंग से भूस्खलन को रोका जाएगा। इसके लिए लोक निर्माण विभाग के बागवानी विंग ने साऊथ जोन यानि 3 जिलों सोलन, शिमला व सिरमौर में 40 साइटें चिन्हित की हैं। इस पर करीब 5 करोड़ रुपए तक की लागत आएगी। इस प्रोजैक्ट को तैयार कर विंग एसडीएमए की मंजूरी के लिए भेजेगा।
आपदा के प्रोजैक्टों में बायो इंजीनियरिंग अनिवार्य
बता दें कि केंद्र सरकार ने आपदा के प्रोजैक्टों में बायो इंजीनियरिंग को अनिवार्य किया है। प्रोजैक्ट के 20 फीसदी कार्य को बायो इंजीनियरिंग से करना पड़ेगा। बायो इंजीनियरिंग में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र को प्राकृतिक तरीके से रोका जाता है। इसके तहत भूस्खलन के प्रति संवेदनशील क्षेत्र में जाली व जूट का प्रयोग करते हुए घास, झाड़ियां तथा पेड़-पौधे लगाए जाते हैं। वर्तमान में आईएसबीटी शिमला के समीप, सोलन-परवाणू सड़क की एक साइट पर बायो इंजीनियरिंग के माध्यम से भूस्खलन को रोकने का प्रयास किया गया है जो अब तक सफल रहा है।
60 लाख रुपए से नर्सरी तैयार करेगा बागवानी विंग
लोक निर्माण विभाग का बागवानी विंग 60 लाख रुपए से नर्सरी तैयार करेगा। इसमें 2 से 5 लाख पौधे तैयार किए जाएंगे। इन्हें फिर भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में लगाया जाएगा। इसके अलावा सोलन में मल्ला सड़क पर बायो इंजीनियरिंग प्रोजैक्ट तैयार किया जाएगा। इससे यहां पर भूस्खलन को रोका जाएगा। इसी तरह भोजनगर के थुंडी गांव में भी भूस्खलन से भारी नुक्सान होता है। इसे भी बायो इंजीनियरिंग प्रोजैक्ट के माध्यम से रोका जाएगा।
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