Edited By Vijay, Updated: 04 Jul, 2025 07:10 PM
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने हिमाचल प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनावों की रणनीतिक बिसात बिछानी शुरू कर दी है। शुक्रवार को उन्होंने पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल और...
शिमला: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने हिमाचल प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनावों की रणनीतिक बिसात बिछानी शुरू कर दी है। शुक्रवार को उन्होंने पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल और शांता कुमार से उनके निवास पर भेंट कर राजनीतिक हलकों में हलचल तेज कर दी। यह मुलाकात विशेषकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल के तीसरी बार पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद हुई, जिससे इसका राजनीतिक महत्व और भी बढ़ जाता है।

नड्डा का संगठन में तालमेल और एकजुटता पर जोर
भाजपा सूत्रों के अनुसार नड्डा इस मुलाकात के माध्यम से हिमाचल प्रदेश भाजपा में सभी कोणों को साधते हुए बेहतरीन तालमेल स्थापित करना चाहते हैं। 2022 के विधानसभा चुनावों में मिली हार और कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद भाजपा नेतृत्व यह सुनिश्चित करना चाहता है कि 2027 में ऐसी स्थिति दोबारा न हो। नड्डा का डॉ. राजीव बिंदल को अपने साथ ले जाना भी एक सोची-समझी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जो यह दर्शाता है कि वह अपने संगठन को मजबूत और एकजुट करना चाहते हैं, साथ ही सभी आंतरिक परेशानियों का निवारण भी करना चाहते हैं। यह मुलाकात भाजपा के संगठन को नए आयाम और ऊंचाइयों की ओर अग्रसर करने का 'लॉन्च पैड' मानी जा रही है। 2027 में पार्टी को संगठित करते हुए एक बड़ी जीत की ओर ले जाना इस महत्वपूर्ण मुलाकात का बड़ा संकेत है। भाजपा अपनी मजबूत संगठनात्मक शक्ति के लिए जानी जाती है और अगर संगठन को उचित दिशा और नई ऊर्जा मिल जाए तो पार्टी एक विस्फोटक शक्ति के रूप में उभर सकती है।
डॉ. राजीव बिंदल स्पष्ट कर चुके हैं अपना लक्ष्य
1 जुलाई को तीसरी बार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में मोर्चा संभालने वाले डॉ. राजीव बिंदल का स्पष्ट लक्ष्य 2027 में भाजपा की मजबूत जीत सुनिश्चित करना है। बिंदल को एक ऐसे अध्यक्ष के रूप में देखा जाता है जो दिन-रात पार्टी को मजबूत करने के लिए कार्यरत हैं। उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने के तुरंत बाद नड्डा का हिमाचल आगमन और वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात, पार्टी की एकजुटता और आगामी चुनावों के लिए उसकी गंभीर तैयारी को दर्शाती है। जब डॉ. राजीव बिंदल ने शिमला में अपने इस कार्यकाल का पहला अध्यक्षीय भाषण दिया था, तो उन्होंने अपना लक्ष्य स्पष्ट कर दिया था कि 2027 में कांग्रेस सरकार को जड़ से उखाड़ फैकना है। नड्डा और बिंदल की यह मुलाकात संगठन में तालमेल बैठाने का एक 'मास्टरस्ट्रोक' भी माना जा रहा है।
2022 विधानसभा चुनावों में मामूली अंतर से हारी थी भाजपा
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों में हिमाचल प्रदेश में कुल 42,19,635 मतदाताओं ने मतदान किया था। इसमें से भाजपा को 18,14,530 वोट प्राप्त हुए थे। कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर रही थी, और अगर भाजपा को मात्र 37,974 और वोट मिल जाते तो वह कांग्रेस से आगे निकल जाती। मत प्रतिशत की बात करें तो कांग्रेस को 43.9 प्रतिशत और भाजपा को 43 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। आम आदमी पार्टी को 1.10 प्रतिशत, निर्दलीय को 10.39 प्रतिशत, अन्य को 0.36 प्रतिशत और नोटा को 0.59 प्रतिशत मतदान प्राप्त हुआ था। भाजपा की हार का अंतर केवल 0.9 प्रतिशत रहा था। चौंकाने वाली बात यह है कि तीन विधानसभा सीटें ऐसी थीं जहां भाजपा बहुत ही कमअंतर से हारी थी। इसमें भोरंज में 60 वोट, सुजानपुर में 399 वोट और शिलाई 382 वोट कम मिले थे। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि 2022 में भाजपा बहुत मामूली अंतर से सत्ता से चूकी थी।
2024 लोकसभा चुनावों में भाजपा का शानदार प्रदर्शन
इसके विपरीत हाल ही में संपन्न हुए 2024 लोकसभा चुनावों में हिमाचल प्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन शानदार रहा, जोकि 2027 के लिए एक मजबूत संकेत है। लोकसभा चुनाव में भाजपा को 56.29 प्रतिशत और कांग्रेस को 41.57 फीसदी मत मिले थे। यानी कांग्रेस के मुकाबले भाजपा को 14.72 प्रतिशत अधिक वोट मिले। कुल 40,78,952 मतों में से भाजपा को 22,96,431 जबकि कांग्रेस को 16,95,904 वोट मिले। लोकसभा सीट वाइज बात करें ताे कांगड़ा लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी राजीव भारद्वाज को 6,32,593 मत (कुल 10,37,474 में से), जबकि कांग्रेस के आनंद शर्मा को 3,80,629 मत मिले। यहां भाजपा ने 24.29 प्रतिशत वोट अधिक लिए। हमीरपुर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी अनुराग सिंह ठाकुर को 6,07,078 मत (कुल 10,52,398 में से), और कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल रायजादा को 4,24,711 मत मिले। यहां भाजपा ने 17.33 फीसदी अधिक वोट लिए। शिमला संसदीय सीट से सुरेश कश्यप को 5,19,748 मत (कुल 9,70,827 में से), जबकि कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी को 4,28,297 मत मिले। यहां भाजपा को 9.42 प्रतिशत वोट अधिक मिले। मंडी संसदीय सीट से भाजपा की कंगना रनौत को 5,37,022 मत (कुल 10,18,253 में से), और कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह को 4,62,267 वोट पड़े। यहां भाजपा को 7.34 फीसदी अधिक मत मिले। 2024 के लोकसभा चुनावों में विभिन्न संसदीय क्षेत्रों में मिले बड़े जनसमर्थन से स्पष्ट है कि भाजपा ने जनता का विश्वास दोबारा हासिल किया है। नड्डा की वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात और संगठन को मजबूत करने की पहल इसी जनसमर्थन को 2027 तक बनाए रखने और राज्य में भाजपा की वापसी सुनिश्चित करने की दिशा में एक ठोस संकेत है।
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