Edited By Vijay, Updated: 22 Sep, 2024 04:39 PM
जिला कुल्लू के तहत सैंज घाटी के दुर्गम क्षेत्र कोठी शांघड़ के अधिष्ठाता देवता शंगचुल महादेव की ऐतिहासिक यात्रा इस वर्ष कार्तिक माह में होनी निश्चित हुई है।
कुल्लू (ब्यूरो): जिला कुल्लू के तहत सैंज घाटी के दुर्गम क्षेत्र कोठी शांघड़ के अधिष्ठाता देवता शंगचुल महादेव की ऐतिहासिक यात्रा इस वर्ष कार्तिक माह में होनी निश्चित हुई है। वहीं 25 वर्ष के अंतराल में होने वाला दैवीय दौरा अपने आप में एक ऐतिहासिक एवं पारंपरिक दैवीय परंपरागत होगा। शंगचुल महादेव की कारदार सुधा देवी और गुर मोहन लाल शर्मा व जगदीश शर्मा ने कहा कि कोठी शांघड़ के हर घर से कम से कम एक आदमी का दैवीय यात्रा में शामिल होना आवश्यक तथा महत्वपूर्ण भूमिका व दैवीय आस्था, परंपरा का प्रतीक माना जाता है। दैवीय यात्रा में भाग न लेने पर दैवीय दोष का भागीदार होता है। उन्होंने कहा कि दैवीय यात्रा 10 नवम्बर से आरंभ होगी। देवता का दौरा करीब 10 देवालयों व देव स्थलों में होगा, जिसमें शुरू के पहले दिन कोठी बनोगी देहुरी, धाउगी, रुआड़, कनौंन, कोठी रैला, कोठी शैंशर, बागी शियाडी, बनाउगी, मैल, मझाण, शाकटी, मरोड़, ढेला जोत, लपाह व अंतिम पड़ाव शांघड़ रहेगा। उन्होंने कहा कि देवता की यात्रा सुख-समृद्धि के लिए की जाती है।
यहां मिलती है प्रेमी जोड़ों को शरण
शंगचुल महादेव मंदिर का सीमा क्षेत्र करीब 100 बीघा का मैदान से माना जाता है। जैसे ही कोई भी प्रेमी युगल यहां प्रवेश करता है तो उसे महादेव की शरण में माना जाता है। मंदिर पहुंचने से पहले ही वे पूरी तरह सुरक्षित हो जाते हैं। फिर उनके परिजन हों या कोई और कोई भी उनका कुछ नही बिगाड़ सकता। जब तक इनका मामला निपट नही जाता ये मंदिर के पंडित की ही देखरेख में रहते हैं।
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