Himachal: IGMC शिमला के जिस वीडियो ने प्रदेश में मचाया था हड़कंप, उस विवाद का हुआ ऐसा अंत

Edited By Jyoti M, Updated: 30 Dec, 2025 05:03 PM

himachal igmc dispute doctor and patient reach a settlement

राजधानी शिमला के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में पिछले एक सप्ताह से जारी तनाव का अंत  मानवीय संवेदनाओं और बड़प्पन से हुआ। जिस विवाद ने प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को ठप्प कर दिया था, वह दो परिवारों के मिलन और गिले-शिकवे दूर करने के साथ समाप्त हो गया।

हिमाचल डेस्क। राजधानी शिमला के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में पिछले एक सप्ताह से जारी तनाव का अंत मानवीय संवेदनाओं और बड़प्पन से हुआ। जिस विवाद ने प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को ठप्प कर दिया था, वह दो परिवारों के मिलन और गिले-शिकवे दूर करने के साथ समाप्त हो गया। अस्पताल के गलियारों में जहां कुछ दिन पहले हंगामे की गूंज थी, वहां आज सुलह और मुस्कुराहटें देखने को मिलीं।

जब मां ने दोनों को बताया अपना 'लाल'

इस पूरे घटनाक्रम में सबसे भावुक मोड़ तब आया जब डॉ. राघव नरूला की माता जी ने उदारता की मिसाल पेश की। उन्होंने विवाद को दरकिनार करते हुए कहा कि उनके लिए अर्जुन पंवर और राघव, दोनों ही अपने बच्चों के समान हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि बच्चे गलतियां कर सकते हैं, लेकिन बड़ों का काम उन्हें सही राह दिखाना है। दोनों युवकों ने एक-दूसरे को गले लगाकर पुरानी बातों को भुला दिया। वहीं, अर्जुन पंवर के पिता ने इस समाधान के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू का आभार जताया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप और चौपाल क्षेत्र की जनता के अटूट समर्थन की बदौलत ही आज उन्हें न्याय का अनुभव हो रहा है।

घटनाक्रम पर एक नजर

इस पूरे विवाद की शुरूआत 22 दिसम्बर को पल्मोनरी वार्ड में एक चिकित्सीय प्रक्रिया के दौरान हुई थी। एक छोटी-सी बहस ने देखते ही देखते मारपीट का रूप ले लिया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैल गया। घटना के तुरंत बाद डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया और पुलिस मामला दर्ज हुआ। इसके विरोध में और डॉक्टर के साथ हुई बदसलूकी के पक्ष में रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) लामबंद हो गई।

24 दिसम्बर को जब डॉक्टर की सेवाएं समाप्त करने के आदेश आए तो पूरे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गईं। 25 से 28 दिसम्बर तक डॉक्टरों की सामूहिक छुट्टी और विरोध प्रदर्शन के कारण हजारों मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस दाैरान रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन सीएस से मिले और डॉक्टर के टर्मिनेशन काे रद्द करने की मांग की।

सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति ने दोनों पक्षों को जिम्मेदार माना था, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने इस मामले में व्यक्तिगत रुचि लेते हुए निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया। इसके बाद रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली और ओपीडी सहित सभी आपातकालीन सेवाएं सुचारू रूप से शुरू हो गईं। अब 30 दिसम्बर को दाेनाें पक्षाें में समझाैता हाे गया।

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