हाईकोर्ट ने नकारी स्टेटस रिपोर्ट, सरकार पर गोबिंदसागर झील में अवैध डंपिंग करवाने वालों को बचाने का आरोप

Edited By Vijay, Updated: 26 Jul, 2024 12:07 AM

himachal highcourt

प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर गोबिंदसागर झील में अवैध डंपिंग करवाने के दोषियों को बचाने का गंभीर आरोप लगाया है। कोर्ट ने वन विभाग की स्टेटस रिपोर्ट को नकारते हुए 50 हजार रुपए की कॉस्ट के साथ ताजा स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए।

शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर गोबिंदसागर झील में अवैध डंपिंग करवाने के दोषियों को बचाने का गंभीर आरोप लगाया है। कोर्ट ने वन विभाग की स्टेटस रिपोर्ट को नकारते हुए 50 हजार रुपए की कॉस्ट के साथ ताजा स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए। कोर्ट ने अवैध डंपिंग को गंभीरता से लेते हुए दोषियों पर दंडात्मक कार्रवाई करने के आदेश जारी किए थे और मुख्य सचिव को कार्रवाई की निगरानी करने के आदेश देते हुए स्टेटस रिपोर्ट भी तलब की थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि कानून का उल्लंघन कर डंपिंग करवाने वाले दोषी वन कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए इसे अंजाम तक ले जाने की जिम्मेदारी मुख्य सचिव की होगी। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने फोरलेन विस्थापित और प्रभावित समिति के महासचिव मदन लाल द्वारा दायर जनहित में दायर याचिका पर ये आदेश पारित किए थे। 

मामले की सुनवाई के दौरान स्टेटस रिपोर्ट का अवलोकन करने पर कोर्ट ने पाया कि सरकार ने दोषियों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही न करने के पीछे के कारण बताने की बजाय केवल कुछ विभागीय कार्यवाही की बात बताई, जबकि कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट के माध्यम से वे कारण पूछे थे जिनकी वजह से दोषियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्यवाही नहीं की गई थी। कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट को अस्वीकार करते हुए कहा कि सरकार जानबूझ कर कोर्ट के प्रश्न का उत्तर न देकर दोषियों को बचाना चाहती है। 

उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने पर्यावरण की दृष्टि से इसे गंभीर मुद्दा बताया था और कहा था कि सरकार के कर्त्ताधर्ताओं द्वारा पर्यावरण को नुक्सान पहुंचाने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही न करने का सीधा मतलब है कि वे अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों के निर्वहन करने में विफल रहे। कोर्ट ने कहा था कि यह सरकार का संवैधानिक दायित्व है कि वह पर्यावरण को बचाने और सुधारने के पुरजोर प्रयास करे और देश के वन्य एवं जल प्राणियों की रक्षा करे।  प्रार्थी के अनुसार नैशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने ठेकेदार को कीरतपुर-मनाली सड़क को चौड़ा करने का कार्य सौंपा है। 

बरमाणा व एम्स के पास डंप किया जा रहा मलबा : प्रार्थी
प्रार्थी के अनुसार बिलासपुर के बरमाणा और तुनहु में एम्स के पास मलबे को डंप किया जा रहा है। इसके अलावा रघुनाथपुरा-मंडी भराड़ी सड़क को चौड़ा करते समय मलबे को बिलासपुर जिले में भाखड़ा बांध के जलाशय में अवैध रूप से डंप किया जा रहा है। प्रार्थी के अनुसार अवैध डंपिंग से न केवल पर्यावरण को नुक्सान हो रहा है बल्कि, झील में मछलियों की कमी भी देखी जा रही है।  इसका मुख्य कारण झील में अवैध डंपिंग से गाद के स्तर में वृद्धि है। गाद की वजह से बिलासपुर जिले के सबसे बड़े जल निकाय गोबिंदसागर में विभिन्न मछली प्रजातियों के प्रजनन को नुक्सान पहुंचाया गया है। हिमाचल प्रदेश रोड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डिवैल्पमैंट काॅर्पोरेशन के ठेकेदार पर मंडवान और अन्य नालों में मलबे के ट्रक को खाली करने का आरोप लगाया गया है। प्रार्थी ने अदालत से गुहार लगाई है कि गोबिंदसागर में अवैध डंपिंग पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई जाए और दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
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