Himachal: ऊना अस्पताल में बढ़ रहे हैं मामले, कहीं आप भी तो नहीं कर रहे अपनी आँखों से खिलवाड़?

Edited By Jyoti M, Updated: 13 Oct, 2025 10:40 AM

himachal eye cases are increasing in una hospital

आज के दौर में स्मार्टफोन और लैपटॉप हमारी ज़िंदगी का अटूट हिस्सा बन गए हैं, लेकिन इनकी स्क्रीन से निकलती कृत्रिम रोशनी ने हमारी आँखों की सेहत पर गहरे बादल ला दिए हैं। यह चिंता सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं है, अब तो कम उम्र के बच्चों की आँखें भी...

हिमाचल डेस्क। आज के दौर में स्मार्टफोन और लैपटॉप हमारी ज़िंदगी का अटूट हिस्सा बन गए हैं, लेकिन इनकी स्क्रीन से निकलती कृत्रिम रोशनी ने हमारी आँखों की सेहत पर गहरे बादल ला दिए हैं। यह चिंता सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं है, अब तो कम उम्र के बच्चों की आँखें भी कमजोर हो रही हैं।

मनोरंजन की लत, आँखों पर बोझ:

मोबाइल की टच स्क्रीन जहाँ सूचना और मनोरंजन का भंडार है, वहीं यह एक ऐसी लत भी बन गई है जिससे फुर्सत मिलते ही लोग तुरंत फोन में खो जाते हैं। यह लगातार स्क्रीन को घूरना आँखों पर दबाव बढ़ाता है और उन्हें आराम नहीं मिल पाता।

स्क्रीन टाइम की चुनौती:

चाहे पढ़ाई करने वाले छात्र हों या दफ्तरों में काम करने वाले पेशेवर, सात से आठ घंटे स्क्रीन के सामने बिताना आम हो गया है। नेत्र विशेषज्ञों की मानें तो यही अत्यधिक स्क्रीन टाइम 'मायोपिक पैरालाइसिस' और 'ड्राई आई सिंड्रोम' जैसी गंभीर समस्याओं को जन्म दे रहा है।

अंधेरे में खतरा अधिक:

रात के अँधेरे में फोन का इस्तेमाल और प्राकृतिक रोशनी से दूर रहना आँखों की कमजोरी को और बढ़ा देता है। क्षेत्रीय अस्पताल ऊना की ओपीडी में रोजाना आँखों की समस्या लेकर आने वाले 100 से ज़्यादा मरीज़ इस बढ़ते खतरे की ओर इशारा कर रहे हैं।

पलकें झपकाना भूल रहे हैं हम:

नेत्र विशेषज्ञ डॉ. अंकुश शर्मा बताते हैं कि सामान्य व्यक्ति एक मिनट में 20 से 25 बार पलकें झपकाता है, जो आँखों की नमी बनाए रखने के लिए आवश्यक है। लेकिन स्क्रीन देखते समय यह संख्या घटकर मात्र पाँच से सात रह जाती है। यह आदत आँखों की नमी कम करती है और रोशनी को प्रभावित करती है। साथ ही, बच्चों का खेलकूद छोड़कर मोबाइल में खोए रहना उनकी शारीरिक सक्रियता और आँखों के स्वास्थ्य दोनों को नुकसान पहुँचा रहा है।

आँखों को आराम देने का तरीका:

डॉ. अंकुश सलाह देते हैं कि लंबे समय तक स्क्रीन पर काम करने वाले लोग अपनी आँखें झपकाना भूल जाते हैं, जिससे आँखें सूखने लगती हैं। ऐसे लोगों को हर आधे घंटे बाद स्क्रीन से नज़र हटाकर कुछ पल के लिए दूर की किसी वस्तु को देखना चाहिए। यह आँखों की मांसपेशियों के लिए एक अच्छा व्यायाम है। सिरदर्द, आँखों में जलन या धुंधलापन महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है।

40 के बाद नियमित जाँच अनिवार्य:

डॉ. अंकुश के अनुसार, 40 वर्ष की आयु के बाद हर किसी को नियमित रूप से आँखों की जाँच करवानी चाहिए। साथ ही, विटामिन-ए से भरपूर खाद्य पदार्थ, मौसमी फल-सब्जियाँ और रोज़ाना सलाद का सेवन आँखों की रोशनी के लिए बहुत फ़ायदेमंद है। सोने से पहले ठंडे पानी से आँखें धोना और मोबाइल से दूरी बनाए रखना सबसे सरल और प्रभावी उपाय है। हमारी आँखों को स्वस्थ रखने के लिए यह ज़रूरी है कि हम डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल और अपनी सेहत के बीच एक सही संतुलन स्थापित करें।

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