Edited By Vijay, Updated: 25 Jul, 2025 07:33 PM

हिमाचल प्रदेश इस समय दोहरी मार झेल रहा है। एक तरफ मानसून की मारक बारिशों से उपजी प्राकृतिक आपदा ने कहर बरपाया है, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रही है।
शिमला (कुलदीप): हिमाचल प्रदेश इस समय दोहरी मार झेल रहा है। एक तरफ मानसून की मारक बारिशों से उपजी प्राकृतिक आपदा ने कहर बरपाया है, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रही है। प्रदेश की कमजोर होती आर्थिक स्थिति से जूझने के लिए सरकार अब 1000 करोड़ रुपए का नया कर्ज लेने जा रही है। सरकार ने इस कर्ज को लेने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह ऋण 22 वर्षों की अवधि के लिए लिया जाएगा। 29 जुलाई को नीलामी प्रक्रिया पूरी की जाएगी और 30 जुलाई को यह राशि राज्य सरकार के खाते में आ जाएगी। तय कार्यक्रम के अनुसार, इस कर्ज को 30 जुलाई, 2047 तक चुकाना होगा।
इस नए कर्ज के साथ ही हिमाचल प्रदेश पर कुल कर्ज का आंकड़ा बढ़कर 1,00,075 करोड़ रुपए हो जाएगा, यानी अब राज्य एक लाख करोड़ रुपए से अधिक के कर्ज तले दब चुका है। यह स्थिति राज्य के लिए निश्चित तौर पर चिंता का विषय बन गई है, खासकर जब पहले से ही वित्तीय संसाधनों की भारी कमी है।
इसी आर्थिक दबाव के चलते सरकार अपने कर्मचारियों को 15 मई, 2025 से घोषित 3 प्रतिशत महंगाई भत्ता (डीए) देने की योजना को लागू नहीं कर पाई है। सरकार को चालू वित्त वर्ष के अंत यानी दिसंबर 2025 तक कुल 7,000 करोड़ रुपए तक कर्ज लेने की अनुमति मिली है। लेकिन जुलाई के अंत तक ही सरकार 5,200 करोड़ रुपए का कर्ज उठा चुकी होगी, जिससे उसके पास अब केवल 1,800 करोड़ रुपये की और उधारी की गुंजाइश बची है।
सरकार को उम्मीद है कि आपदा की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार राज्य को अतिरिक्त कर्ज लेने की अनुमति दे सकती है। मौजूदा समय में सरकार पर हर महीने लगभग 2,800 करोड़ रुपए की वित्तीय देनदारियां हैं। इसमें से लगभग 2,000 करोड़ रुपए वेतन, 800 करोड़ रुपए पैंशन, 500 करोड़ रुपए ब्याज भुगतान और 300 करोड़ रुपए पूर्व में लिए गए कर्ज के मूलधन की अदायगी में खर्च हो रहे हैं। इस सबके बीच वर्ष 2025-26 हिमाचल सरकार के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। आगे राज्य की वित्तीय सेहत काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगी कि 1 अप्रैल 2026 से लागू होने वाली 16वें वित्तायोग की सिफारिशें हिमाचल को कितनी राहत देती हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू स्वयं इस मुद्दे को लेकर कई बार 16वें वित्तायोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया से मुलाकात कर चुके हैं। उन्होंने यह भी जोर देकर बताया है कि 15वें वित्तायोग की सिफारिशों में अंतिम वर्ष के दौरान हिमाचल को मिलने वाली राजस्व घाटा अनुदान राशि को 10,000 करोड़ रुपए से घटाकर केवल 3,000 करोड़ रुपए कर देना राज्य की वित्तीय अस्थिरता का एक बड़ा कारण रहा है।