Edited By Kuldeep, Updated: 12 Feb, 2025 09:23 PM
![gohar rangcha phagli evil forces chased away](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2025_2image_21_23_209357971evilforces-ll.jpg)
बालीचौकी क्षेत्र की थाटा पंचायत के रांगचा व कांढा पंचायत के नहरा और शेगली में फाल्गुन संक्रांति के उपलक्ष्य पर फागली उत्सव का आगाज बड़ी धूमधाम से किया गया।
गोहर (ख्यालीराम): बालीचौकी क्षेत्र की थाटा पंचायत के रांगचा व कांढा पंचायत के नहरा और शेगली में फाल्गुन संक्रांति के उपलक्ष्य पर फागली उत्सव का आगाज बड़ी धूमधाम से किया गया। परंपरा के अनुसार देउलुओं ने मुखौटे पहनकर हारियानों के घर-घर जाकर नृत्य किया। यह रस्म अज्ञात बीमारियों और बुरी शक्तियों को भगाने के लिए उपयोगी मानी जाती है। इस अवसर पर रूढ़िवादी परम्पराओं के निर्वाहन के लिए सैंकड़ों लोगों ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित की, ताकि देव आस्था के चलते भक्तजनों पर देवता का आशीर्वाद बना रहे।
फागली उत्सव आराध्य देवता लक्ष्मीनारायण के नाम पर मनाया जाता है, जिसे भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। उत्सव में विशेषकर मुखौटा नृत्य सबको आकर्षित करता है। देवता के आदेश पर गांव के चयनित लोग मुखौटा नृत्य कर गांव से आसुरी शक्तियों को भगाने का निर्वाहन करते माने जाते हैं, ताकि सालभर क्षेत्र में सुख-समृद्धि बनी रहे। इसके दूसरे दिन बड़ी फागली के आयोजन में आराध्य देवता लक्ष्मीनारायण का देवरथ शामिल होता है। देवता के वरिष्ठ देउलू डोले राम, राम सिंह व श्याम सिंह आदि लोगों का कहना है कि यह उत्सव हर फाल्गुन महीने की संक्रांत के दिन से मनाया जाता है।
उत्सव मानव जीवन और अन्य जीवों की सुख-शांति के लिए आयोजित किया जाता है। इसमें अश्लील जुमलों से दैत्य शक्तियों को भगाया जाता है। इसमें मुखौटे पहने हुए गांव के हर घर में प्रवेश करके सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। देवता के गूर के माध्यम से भूत-प्रेत और बुरी आत्माओं को गांव से बाहर भगाने की परंपरा निभाई जाती है। फागली उत्सव में यथावत परम्पराओं के साथ देव रस्मों का निर्वाहन किया जाता है।