अपनों के लिए एचपीयू ने नियम रखे ताक पर, वीसी, निदेशक और डीन के बच्चों को पीएचडी में दिया सीधे प्रवेश

Edited By prashant sharma, Updated: 17 Oct, 2021 11:15 AM

direct admission to the children of vc director and dean in phd

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) में अपनों को लाभ देने के लिए विश्वविद्यालय ने नियमों को ताक पर रख दिया है। एचपीयू ने नेट, जेआरएफ टेस्ट पास न करने पर भी कुलपति, यूआईआईटी के निदेशक, डीन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट के बच्चों को सीधे पीएचडी में प्रवेश...

शिमला : हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) में अपनों को लाभ देने के लिए विश्वविद्यालय ने नियमों को ताक पर रख दिया है। एचपीयू ने नेट, जेआरएफ टेस्ट पास न करने पर भी कुलपति, यूआईआईटी के निदेशक, डीन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट के बच्चों को सीधे पीएचडी में प्रवेश दे दिया। इसके लिए बकायता कार्य परिषद की बैठक में मंजूरी भी दिलाई गई है। इन अभ्यर्थियों ने पीएचडी प्रवेश परीक्षा भी पास नहीं की है। वहीं, पीएचडी में प्रवेश के लिए निकाले गए विज्ञापन में इस कैटेगरी का कोई जिक्र नहीं है। इससे कई कर्मचारियों के बच्चे इससे वंचित रह गए। इस सत्र से पीएचडी में सीधे प्रवेश की प्रक्रिया लागू कर दी गई है।

यूजीसी के पीएचडी प्रवेश के लिए बनाए रेगुलेशन के अनुसार पीएचडी में प्रवेश परीक्षा और सीधे प्रवेश की प्रक्रिया से एडमिशन दी जाती है। सीधे प्रवेश की प्रक्रिया में नेट, जेआरएफ पास करने वाले ही पात्र होते हैं।  हालांकि एचपीयू ने बैठक से मंजूरी दिलाकर कई विभागों में ऐसे अभ्यर्थियों से एक लाख रुपये एकमुश्त फीस लेकर प्रवेश दिया गया है। अब एचपीयू ने हर विभाग में विवि कर्मियों के बच्चों की एक-एक सीट का अलग से प्रावधान किया गया है। इस बार पीएचडी में सीधे प्रवेश लेने वालों की सूची जारी हो चुकी है। इससे सीधे तौर पर माना जा रहा है कि विवि के शिक्षक और गैर शिक्षक एकमुश्त फीस देकर अपने बच्चों को पीएचडी में प्रवेश दिला सकते हैं। विवि के कई आला अधिकारियों के बच्चों को कंप्यूटर साइंस, इंग्लिश और मैनेजमेंट जैसे विभागों में पीएचडी में प्रवेश का मामला सामने आया है। 

एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष छत्तर सिंह ठाकुर ने कहा कि विश्वविद्यालय में पीएचडी में सीधे प्रवेश के लिए सीट क्रिएट कर अपने लाडलों को लाभ दिया जा रहा है। यह सीधे यूजीसी के पीएचडी प्रवेश का उल्लंघन है। एनएसयूआई इससे संबंधित दस्तावेज जुटा चुकी है, जल्द इसका पर्दाफाश किया जाएगा। वहीं, कंप्यूटर साइंस के विभागाध्यक्ष जवाहर ठाकुर ने माना कि नया प्रावधान लागू कर दिया है। विभाग में एक बच्चे को प्रवेश दिया है। यह मायने नहीं रखता कि किसका बच्चा है, केवल उसका अभिभावक विवि का कर्मचारी होना चाहिए। 

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