Edited By Vijay, Updated: 21 Feb, 2025 06:01 PM
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बालीचौकी उपमंडल के लुझयागी गांव के देवता मार्कंडेय ऋषि और बागी गांव के देवता कोटलू अपने लाव-लश्कर के साथ महाशिवरात्रि महोत्सव के लिए भव्य यात्रा पर निकल पड़े हैं।
पंडोह (विशाल): बालीचौकी उपमंडल के लुझयागी गांव के देवता मार्कंडेय ऋषि और बागी गांव के देवता कोटलू अपने लाव-लश्कर के साथ महाशिवरात्रि महोत्सव के लिए भव्य यात्रा पर निकल पड़े हैं। शुक्रवार को ढोल-नगाड़ों की गूंज और जयकारों के बीच दोनों देवताओं के रथ अपने भंडार से मंडी के लिए रवाना हुए। 25 फरवरी की शाम को ये दोनों देवता मंडी पहुंचेंगे।
यात्रा के दौरान भक्तों के घर ठहरेंगे देवता
पुरोहित रणजीत शर्मा के अनुसार इन देवताओं का शिवरात्रि महोत्सव में ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। राजाओं के समय से ये देवता शिवरात्रि उत्सव का हिस्सा बनते आए हैं। बालीचौकी से पंडोह तक पूरा सफर पैदल तय किया जाएगा, जहां भक्त देवताओं की अगवानी करेंगे। यात्रा के दौरान रात को देवता भक्तों के घर ठहरेंगे, जहां पारंपरिक धाम और स्वागत का भव्य आयोजन किया गया है।
संतान सुख देते हैं देव मार्कंडेय ऋषि, न्याय दिलाने वाले देवता हैं देव कोटलू
देवता मार्कंडेय ऋषि को मनोकामना पूर्ति का देवता माना जाता है। संतान सुख की चाह रखने वाले दंपती उनकी विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। वहीं देवता कोटलू को न्याय और कोर्ट-कचहरी में विजय दिलाने वाला देवता माना जाता है। श्रद्धालु उनकी विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए शिवरात्रि महोत्सव में उमड़ते हैं।
महाशिवरात्रि की जलेब में रहेता विशेष स्थान
मंडी शिवरात्रि महोत्सव में निकलने वाली विशाल देव जलेब (शोभायात्रा) में भी इन दोनों देवताओं का खास महत्व रहता है। भक्तों की अपार श्रद्धा और भव्य आयोजनों के बीच यह महोत्सव ऐतिहासिक रंग में रंगने को तैयार है।
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