Edited By Vijay, Updated: 28 Aug, 2025 05:56 PM

इस बार देवताओं व डायनों के बीच हुए युद्ध में डायनें विजयी रही हैं। यह बात बुधवार को तुंगल क्षेत्र के प्रसिद्ध शक्तिपीठ माता बगलामुखी मंदिर सेहली में वार्षिक जाग के दौरान स्पष्ट हुई। जाग में देवताओं और डायनों के बीच हुए युद्ध का वर्णन किया गया।
मंडी (रीता): इस बार देवताओं व डायनों के बीच हुए युद्ध में डायनें विजयी रही हैं। यह बात बुधवार को तुंगल क्षेत्र के प्रसिद्ध शक्तिपीठ माता बगलामुखी मंदिर सेहली व देव सत बाला कामेश्वर में वार्षिक जाग के दौरान स्पष्ट हुई। जाग में देवताओं और डायनों के बीच हुए युद्ध का वर्णन किया गया। इस दौरान गूर के माध्यम से बताया गया कि बार सातवीं मुठभेड़ में डायनियां शिख-पाथा लेकर विजयी रहीं। इस जीत को भविष्य के लिए चेतावनी माना जा रहा है, जिसके चलते भूकंप, बाढ़ और अकाल जैसी आपदाओं की आशंका जताई गई।
प्रकृति और देवनीति के साथ छेड़छाड़ की ताे परिणाम हाेंगे भयावह
गूर के माध्यम से माता बगलामुखी ने भक्तों को आश्वस्त किया कि वह उन्हें सुरक्षा कवच प्रदान करेंगी, किंतु यह भी चेतावनी दी कि मनुष्य यदि प्रकृति और देवनीति के साथ छेड़छाड़ करता रहा, तो परिणाम और भी भयावह हो सकते हैं। जाग के दौरान माता ने देवस्थलों को पर्यटन स्थल बनाने की प्रवृत्ति पर भी आपत्ति जताई और कहा कि देवता केवल शांत, स्वच्छ और पवित्र स्थलों में वास करते हैं। जाग की शुरूआत रात 12 बजे माता की पूजा-अर्चना से हुई। इस अवसर पर मंदिर परिसर भक्ति गीतों और भजनों से गूंज उठा। अग्नि भजन मंडली साईग्लू, नंदलाल भजन मंडली और शर्मा भजन मंडली सेहली ने एक से बढ़कर एक भजन प्रस्तुत किए।
क्या कहते हैं माता बगलामुखी सेहली के पुजारी
माता बगलामुखी सेहली के पुजारी अमरजीत शर्मा ने बताया कि पहला युद्ध समुद्र के टापू पर तथा अंतिम युद्ध घोघरधार में हुआ। देवताओं व डायनों में कुल 7 युद्ध हुए, जिसमें 3-3 युद्ध बराबरी पर रहे और अंतिम युद्ध में डायनें शिख-पाथा लेकर चली गईं, जिसके कारण इस वर्ष उन्हें विजयी माना गया।