PICS: हिमाचल के इस सबसे ठंडे रेगिस्तान में लोगों को नहीं खलेगी किसी चीज की कमी

Edited By Updated: 21 Dec, 2016 12:44 PM

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भारत-तिब्बत सीमा पर स्थित प्रदेश के सबसे ठंडे रेगिस्तान स्पीति के जनजातीय लोगों को अब किसी चीज की कमी नहीं खलेगी।

उदयपुर: भारत-तिब्बत सीमा पर स्थित प्रदेश के सबसे ठंडे रेगिस्तान स्पीति के जनजातीय लोगों को अब किसी चीज की कमी नहीं खलेगी। बार्डर में जनजातीय समुदाय को प्रदेश सरकार द्वारा आवश्यक वस्तुओं का एक साल का कोटा एक मुश्त जारी किया जा रहा है। खाद्य चीजों के अलावा रसोई गैस, मिट्टी का तेल व बालन के लिए लकड़ी समेत जरूरत की हर चीज उन्हें अनुदान पर वितरित करने की प्रक्रिया ने इन दिनों जोर पकड़ा है। जाहिर है ठंडे रेगिस्तान के जनजातीय लोग अब बर्फबारी की विकट परिस्थितियों का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हो रहे हैं।


स्पीति में 13 हजार की आबादी के लिए 2 लाख 20 हजार लीटर मिट्टी का तेल 13 हजार की आबादी वाले जनजातीय उपमंडल स्पीति की भौगोलिक परिस्थितियां भले ही बेहद जटिल हैं, लेकिन प्रशासन जनजीवन को आसान बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहता है। बर्फबारी के दौरान उपमंडल मुख्यालय तो दूर गांवों का संपर्क भी परस्पर कट जाता है। इन हालात में लोगों को किसी प्रकार की दिक्कतें न पेश आए, इसके लिए प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह से मुस्तैद है। प्रशासनिक स्तर पर जनजातीय लोगों को बर्फबारी से पहले जरूरत की सभी वस्तुएं अनुदान पर वितरित की जा रही है।


काजा स्थित खाद्य एवं आपुर्ति निगम के पैट्रोल पंप में इस समय 2 लाख 20 हजार लीटर मिट्टी का तेल जमा किया जा चुका है। पैट्रोल पंप के प्रभारी अच्छर सिंह ने बताया कि प्रति राशन कार्ड 70 लीटर मिट्टी का तेल उपभोक्ताओं को दिया जा रहा है। इसके अलावा पैट्रोल और डीजल का भंडारण भी कर लिया गया है। गौरतलब है कि काजा में खाद्य एवं आपूर्ति निगम के पैट्रोल पंप को एशिया महाद्वीप में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित पैट्रोल पंप का गौरव हासिल है। इस पैट्रोल पंप में इस समय 90 हजार लीटर डीजल तथा 35 हजार लीटर पैट्रोल उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध है। 


340 सिलैंडरों की कमी
एल.पी.जी. गैस भंडार के प्रभारी गोविंद सिंह ने बताया कि भंडारण प्रक्रिया में फिलवक्त 340 घरेलू गैस सिलैंडरों की कमी पड़ी है। परिस्थितियां फिलहाल अनुकूल हैं, जरूरत पडऩे पर और भी गैस सिलेंडरों की आपुर्ति हो जाएगी। इसके अलावा उपमंडल मुख्यालय काजा के विभिन्न विभागों के लिए खाद्य एवं आपूर्ति निगम द्वारा व्यवसायिक गैस के 35 सौ सिलैंडर उपलब्ध करवाए गए हैं। जिनकी वितरण प्रक्रिया निरंतर चल रही है। बर्फीले रेगिस्तान की भयंकर ठंड के दौरान वन निगम की 45 हजार किवंटल लकड़ी बुखारियों में राख होगी। वनस्पितिविहीन ठंडे रेगिस्तान की प्रचंड ठंड में जिंदा रहने के लिए लकड़ी (इंधन) न मिले तो सांसें थम जाए। 


स्पीति में नहीं जंगलों का नामोनिशान
स्पीति में जंगलों का दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं है, लिहाजा ईंधन की सारी आपूर्ति का दारोमदार वन निगम पर टिका हुआ है। वन निगम यदि इंधन की आपूर्ति न करें तो इस ठंडे रेगिस्तान का जनजीवन संकट में पड़ जाए। वन निगम इस मामले में कोताही बरतने के कतई मूड़ में नहीं है। यही बजह है कि स्पीति उपमंडल में निगम के 9 सेल डिपुओं के माध्यम से 45 हजार किवंटल बालन लकड़ी का वितरण आवश्यकता के अनुसार सभी उपभोक्ताओं को किया गया। डी.एफ.ओ. काजा राजेश शर्मा ने बताया कि बालन के वितरण के लिए गियु, सिचलिंग, गुलिंग, ताबो, काजा, किब्बर, खुरिक लोसर व हंसा गांवों में बालन सेल डिपो स्थापित किए गए हैं। यह बालन लकड़ी उन्हें अनुदान पर वितरित की गई है। 


लकड़ी से संतुष्ट नहीं लोग
प्रदेश के सबसे ठंडे रेगिस्तान स्पीति के लिए वन निगम चाहे जितनी अधिक मात्रा में इंधन की लकड़ी की आपूर्ति कर दे लेकिन स्पीति की आवाम कभी भी वन निगम की लकड़ी से संतुष्ट नहीं हुई है। वन निगम द्वारा दी जाने वाली 10-15 क्विंटल लकड़ी को उन्होंने हमेशा ही अपेक्षाकृत काफी कम बताया है। स्थानीय लोगों की मानें तो ठंड की भयंकर परिस्थितियों को देखते हुए कम से कम उन्हें 30-35 क्विंटल लकड़ी तो मिलनी ही चाहिए, लेकिन उनकी मांग पर निगम द्वारा कोई गौर नहीं किया जाता है। मजबूरन उन्हें उपले की गर्माहट में जीवन की गाड़ी खींचने के लिए विवश होना पड़ता है।


3517 राशनकार्ड धारक, 1150 किवंटल चीनी 75 हजार लीटर खाद्य तेल 
बर्फबारी के बाद शेष भारत से अलग-थलग पड़ते ही जनजातीय स्पीति उपमंडल के बाजार अनिश्चित समय के लिए बंद हो जाएंगे। मुख्यालय काजा को जोड़ने वाले ग्रामीण सड़क मार्ग यातायात के लिए पूर्णतया बंद रहेंगे। इन सड़क मार्गों पर हर समय ग्लेश्यिर गिरने के मंडराते खतरे के बीच लोग गांव से बाहर निकलने का जोखिम नहीं उठा पाएंगे। इन परिस्थितियों में मुख्यालय काजा में भी कफ्र्यु की स्थिति बनेगी। गिनी चुनी दुकानें जो खुली रहेंगी, वहां भी हर समय ग्राहकों का टोटा रहेगा। आवश्यक वस्तुओं के लिए लोगों को जान जोखिम में न डालनी पड़े, इसके पुख्ता इंतजाम प्रशासनिक स्तर पर पहले ही किए गए हैं। स्पीति के 3517 राशन कार्ड धारकों के लिए चीनी का एक साल का कोटा 1150 किवंटल चीनी इकट्ठा जारी करने का क्रम इन दिनों आखिरी चरण पर पहुंचने लगा है।


इसके अलावा खाद्य एंव आपूर्ति निगम के डिपुओं के माध्यम से उन्हें अन्य सभी प्रकार की खाद्य चीजें भी अनुदान पर वितरित की जा रही हैं। अन्न भंडार के प्रभारी कुलदीप सिंह ने बताया कि चीनी के साथ साथ उन्हें 5 हजार क्विंटल चावल, 5500 क्विंटल आटा, 4500 क्विंटल गंदम, दालें 1200 क्विंटल तथा 75 हजार लीटर खाद्य तेल उन्हें अनुदान पर आवंटित किए जा रहे हैं। सभी प्रकार की चीजें खाद्य एंव आपुर्ति निगम के डिपुओं के माध्यम से उन्हें गांव-गांव में उपलब्ध करवाई जा रही हैं। आवश्यकता के अनुरूप रसोई गैस की कमी, विभागों को दिए 3500 व्यवसायिक गैस सिलैंडर काजा में खाद्य एवं आपूर्ति निगम द्वारा तैयार किए गए एक्शन प्लान के मुताबिक राज्य सरकार से 20 हजार 3 सौ 40 घरेलु गैस सिलैंडरों की मांग की गई थी, लेकिन स्पीति के लिए इस बार केवल 20 हजार घरेलु गैस के सिलैंडर भेजे गए हैं। 

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