Edited By Vijay, Updated: 22 Sep, 2023 08:46 PM

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) के पद संवैधानिक नहीं हैं लेकिन ये नियुक्तियां कानूत के तहत की गईं हैं। इसके लिए विधानसभा से कानून पारित किया गया, जिसको आधार बनाकर सरकार ने 6 सीपीएस के पद भरे हैं और 2 अभी भी खाली...
शिमला (कुलदीप): मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) का पद संवैधानिक नहीं है लेकिन ये नियुक्तियां कानूत के तहत की गईं हैं। इसके लिए विधानसभा से कानून पारित किया गया, जिसको आधार बनाकर सरकार ने 6 सीपीएस के पद भरे हैं और 2 अभी भी खाली हैं। हालांकि सीपीएस अपने वाहन में तिरंगा नहीं लगा सकते। सीपीएस को फाइल देखने का अधिकार है लेकिन वह इस पर लिख नहीं सकते। उन्होंने कहा कि सरकार ने कामकाज में पूरी पारदर्शिता को अपनाया है तथा कोई विधायक भी फाइल को देख सकता है। उन्होंने यह बात नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की तरफ से सीपीएस की तरफ से अनुपूरक प्रश्न पूछने पर उठाए गए व्यवस्था के मामले का उत्तर देते हुए कही। नेता प्रतिपक्ष का कहना था कि सीपीएस को कैबिनेट मंत्री की तरह सुविधाएं दी गईं हैं। ऐसे में वे सरकार का हिस्सा हैं, जिसे देखते हुए मंत्री की तरह उनको प्रश्न पूछने का अधिकार नहीं है। सरकार की तरफ से उनको बाकायदा विभाग भी आबंटित किए गए हैं तथा वे पूरे अधिकार के साथ सरकारी विभागों के कामकाज में दखल दे रहे हैं। इस मुद्दे पर पक्ष-विपक्ष के बीच मामूली नोंक-झोंक भी हुई।
सीपीएस नहीं पूछ सकते सवाल : पठानिया
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया भोजनावकाश के बाद व्यवस्था (रुलिंग) देते हुए कहा कि सीपीएस सरकार का हिस्सा है, जिस कारण वह सवाल नहीं पूछ सकते। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष ने यह मामला पहले उठाया था, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने भोजनावकाश के बाद व्यवस्था दी।
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