Edited By Vijay, Updated: 11 Feb, 2024 06:06 PM
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मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान बाल संरक्षण संस्थानों के 1084 आश्रितों को 2 करोड़ 15 लाख 37 हजार रुपए तथा 2718 अनाथ बच्चों को 4000 रुपए प्रतिमाह जेब खर्च के रूप में 4 करोड़ 34 लाख 88 हजार रुपए वितरित किए गए हैं।
शिमला (ब्यूरो): मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान बाल संरक्षण संस्थानों के 1084 आश्रितों को 2 करोड़ 15 लाख 37 हजार रुपए तथा 2718 अनाथ बच्चों को 4000 रुपए प्रतिमाह जेब खर्च के रूप में 4 करोड़ 34 लाख 88 हजार रुपए वितरित किए गए हैं। इन संस्थानों के 1084 बच्चों को वस्त्र भत्ते के तहत 5 हजार रुपए प्रति बच्चे की दर से 54 लाख 20 हजार रुपए वितरित किए गए हैं। इन बच्चों को उत्सव भत्ते के रूप में 59 लाख 81 हजार 500 रुपए तथा पोषक आहार के लिए 32 लाख 52 हजार रुपए वितरित किए गए हैं। संस्थानों के मेधावी विद्यार्थियों को 30 लैपटॉप भी प्रदान किए गए हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे 48 लाभार्थियों को 28 लाख 30 हजार 707 रुपए तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे 17 लाभार्थियों को 26 लाख 95 हजार 994 रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त स्टार्ट-अप के लिए लाभार्थियों को 6 लाख रुपए प्रदान किए गए।
4000 बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के रूप में अपनाया
शिमला से जारी बयान में मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में अनाथ बच्चों का भविष्य संवारने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना शुरू की गई है, जिसके अंतर्गत अब तक 4000 बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के रूप में अपनाया गया है। माता एवं पिता के रूप में उनकी देखभाल की सम्पूर्ण जिम्मेदारी निभाने का दायित्व सरकार ने सम्भाला है। हाल ही में जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी के लुथान में सुख आश्रय ग्राम परिसर में विश्व स्तरीय सुविधाओं के साथ लगभग 400 निराश्रितों के रहने की क्षमता होगी। यह योजना निराश्रित, एकल अथवा निराश्रित नारियों, दिव्यांगजनों तथा वृद्धजनों जैसे समाज के कमजोर वर्गों को संस्थागत तथा गैर-संस्थागत देखभाल सुविधा भी प्रदान कर रही है ताकि सामाजिक सहयोग तथा भावनात्मक जुड़ाव के साथ गुणात्मक सुधार लाते हुए उनका सम्मानजनक जीवनयापन सुनिश्चित किया जा सके।
बाल संरक्षण संस्थानों में विकसित की जा रही विश्व स्तरीय सुविधाएं
राज्य सरकार निराश्रितों के लिए प्रदेशभर में कई बाल संरक्षण संस्थानों का संचालन भी कर रही है। मुख्यमंत्री का कहना है कि इन बाल संरक्षण संस्थानों में टच-टैक्नोलॉजी से लैस स्मार्ट बोर्ड, इंडोर व आऊटडोर खेल सुविधाएं, संगीत कक्ष, मनोरंजन कक्ष, चिकित्सा कक्ष व अन्य विश्व स्तरीय सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। इसके अलावा राज्य सरकार सुनिश्चित कर रही है कि इन बच्चों को श्रेष्ठ विद्यालयों, व्यावसायिक संस्थानों, तकनीकी तथा प्रोफैशनल महाविद्यालयों में शिक्षित किया जाए तथा इस दौरान वे अपने शौक पूरे कर अपना भरपूर बचपन जी सकें।
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