Edited By Jyoti M, Updated: 11 Jun, 2025 12:58 PM

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में सियासी हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कांग्रेस कार्यकारिणी के गठन और नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर नई दिल्ली पहुंच गए हैं। उनके दिल्ली पहुंचने से सियासी पारा एक बार फिर चढ़ गया है, खासकर तब जब...
हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में सियासी हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कांग्रेस कार्यकारिणी के गठन और नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर नई दिल्ली पहुंच गए हैं। उनके दिल्ली पहुंचने से सियासी पारा एक बार फिर चढ़ गया है, खासकर तब जब उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह पहले से ही दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार को शिपकी ला पास को पर्यटन गतिविधियों के लिए खोलने के बाद शिमला का दौरा किया और फिर सीधे दिल्ली के लिए रवाना हो गए। माना जा रहा है कि दिल्ली में उनकी मुलाकात कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से होगी, जिसमें नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति पर अहम चर्चा हो सकती है।
वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात और संगठनात्मक मांग
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की है। चर्चा है कि दोनों नेताओं ने जल्द से जल्द संगठनात्मक ढांचे के गठन की मांग की है. मुकेश अग्निहोत्री ने के.सी. वेणुगोपाल और प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात की, जबकि विक्रमादित्य सिंह ने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और के.सी. वेणुगोपाल से भेंट की।
इन मुलाकातों के दौरान, उन्होंने इन नेताओं को 23 जून को शिमला में आयोजित होने वाले वीरभद्र जयंती कार्यक्रम के लिए निमंत्रण भी दिया। सूत्रों के अनुसार, विक्रमादित्य सिंह ने अपनी मुलाकातों में संगठन और अध्यक्ष पद को लेकर भी विस्तार से चर्चा की है। इन मुलाकातों के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के नए संगठन और अध्यक्ष की घोषणा जल्द हो सकती है।
गुटबाजी का प्रभाव
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में अंदरूनी गुटबाजी लगातार हावी होती दिख रही है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू अपनी पसंद का प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त करना चाहते हैं। हालांकि, 'हॉली लॉज' गुट सुक्खू द्वारा सुझाए गए नामों पर सहमत नहीं है। इस असहमति का मुख्य कारण यह है कि अगर मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष दोनों एक ही खेमे से होते हैं, तो दूसरे गुट की पूरी तरह से अनदेखी हो सकती है। पार्टी आलाकमान भी इस स्थिति को समझ रहा है, और यही वजह है कि पिछले सात महीनों से नया संगठन नहीं बन पाया है। गुटबाजी के चलते संगठन के गठन में लगातार देरी हो रही है।