Edited By Kuldeep, Updated: 14 Apr, 2025 04:48 PM

चुराह के देवीकोठी से बैरेवाली भगवती अपनी देवी बहन चामुंडा माता से मिलने के लिए चम्बा रवाना हो गई हैं। ढोल-नगाड़ों के साथ कारदारों सहित करीब पांच दिनों तक लगभग 125 किलोमीटर का सफर पैदल तय करके माता चम्बा पहुंचेंगी।
चम्बा (काकू चौहान): चुराह के देवीकोठी से बैरेवाली भगवती अपनी देवी बहन चामुंडा माता से मिलने के लिए चम्बा रवाना हो गई हैं। ढोल-नगाड़ों के साथ कारदारों सहित करीब पांच दिनों तक लगभग 125 किलोमीटर का सफर पैदल तय करके माता चम्बा पहुंचेंगी। इसके बाद पंद्रह दिन तक चामुंडा माता के पास ही रुकेंगी। इस दौरान श्रद्धालु बैरेवाली भगवती को अपने घर आने का न्यौता देकर पूजा-अर्चना करेंगे। दो देवी बहनों के मिलन के अंतिम दिन चामुंडा माता मंदिर परिसर में जातर मेले का आयोजन किया जाएगा। इस मेले में हजारों की तादाद में श्रद्धालु उपस्थिति दर्ज करवाकर दो देवी बहनों के मिलन के गवाह बनेंगे।
बैरेवाली भगवती के आगमन को लेकर चामुंडा माता मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। मंदिर के मुख्य पुजारी हरि सिंह शर्मा ने बताया कि बैरेवाली भगवती चुराह के देवीकोठी से हर वर्ष बसोअे (वैसाखी) की पिंदड़ी खाने के लिए अपनी बहन चामुंडा माता के पास आती हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और चम्बावासी इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। इस वर्ष भी न्यौता मिलने पर बैसाख माह की संक्रांति को बैरेवाली भगवती चम्बा रवाना हुईं।
बैरेवाली भगवती 17 अप्रैल को चम्बा नगर में प्रवेश करेंगी। अंतिम दिन होने वाले जातर मेले के बाद अगले वर्ष मिलने का वायदा करके बैरेवाली भगवती वापस अपने मूल निवास स्थान देवीकोठी को रवाना हो जाएगी। मान्यता है कि बैरेवाली भगवती के चम्बा अपनी बहन चामुंडा के पास पहुंचने पर तेज हवाओं के साथ बारिश होती है। दो देवी बहनों के मिलन पर इंद्रदेव भी अपनी हाजिरी भरते हैं। चम्बा जनपद में दो देवी बहनों के मिलन पर होने वाले जातर मेले का खासा महत्व रहता है।