कोरोना के साये में विश्व विख्यात बाबा बड़भाग सिंह होला मोहल्ला मेला शुरू, पहले दिन कम पहुंचे श्रद्धालु

Edited By Vijay, Updated: 21 Mar, 2021 05:02 PM

baba badbhag singh hola mohalla fair start

कोविड-19 की प्रबल लहर के बीच हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला में स्थित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल डेरा बाबा बड़भाग सिंह में विश्वविख्यात होला मोहल्ला मेला आज से शुरू हो गया है। मेले के मद्देनजर डेरे सहित पूरे इलाके को दुल्हन की तरह सजाया गया है। मेले के दौरान...

ऊना (अमित): कोविड-19 की प्रबल लहर के बीच हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला में स्थित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल डेरा बाबा बड़भाग सिंह में विश्वविख्यात होला मोहल्ला मेला आज से शुरू हो गया है। मेले के मद्देनजर डेरे सहित पूरे इलाके को दुल्हन की तरह सजाया गया है। मेले के दौरान श्रद्धालुओं के लिए कई सारी व्यवस्थाएं की गई हैं, जिनमें कोविड-19 के तहत जारी गाइडलाइंस के पालन को लेकर काफी जोर दिया जा रहा है। इसका असर मेले के पहले ही दिन रविवार को साफ तौर पर देखने को मिला जब मेला क्षेत्र में इक्का-दुक्का श्रद्धालु ही दिखाई दिए। विशेष परिस्थितियों में आयोजित किए जा रहे इस मेले के दौरान न तो श्रद्धालुओं को यहां रुकने की अनुमति है और न ही हर साल यहां सजने वाली अस्थाई दुकानों को इस बार स्थापित किया गया है। गौरतलब है कि इस मेले के दौरान करीब 10 दिन तक लाखों श्रद्धालु मेला क्षेत्र में डेरा डाले रहते हैं। कुछ श्रद्धालु जहां स्थानीय भवनों को किराए पर लेकर रहते हैं तो कुछ लोग मेला क्षेत्र के खेतों में टैंट लगाकर पूरे 10 दिन बिता देते थे लेकिन इस बार मेले में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं के लिए कोविड-19 की नैगेटिव रिपोर्ट के अनिवार्य किए जाने के बाद मेले के पहले दिन मेला क्षेत्र पूरी तरह से खाली ही रहा।
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डेरा बाबा बड़भाग सिंह के इतिहास पर नजर डाली जाए तो वर्ष 1761 में सिख गुरु अर्जुन देव जी के वंशज बाबा राम सिंह सोढ़ी और उनकी धर्मपत्नी माता राजकौर के घर में बड़भाग सिंह जी का जन्म हुआ। बाबा बड़भाग सिंह बाल्याकाल से ही आध्यातम को समर्पित होकर पीड़ित मानवता की सेवा को ही अपना लक्ष्य मानने लगे थे। कहते हैं कि एक दिन वो घूमते हुए आज के मैड़ी गांव स्थित दर्शनी खड्ड जिसे अब चरण गंगा कहा जाता है, में पहुंचे और यहां के पवित्र जल में स्नान करने के बाद मैड़ी स्थित एक बेरी के पेड़ के नीचे ध्यानमग्न हो गए। उस समय मैड़ी का यह क्षेत्र बिल्कुल वीरान था और दूर-दूर तक कोई आबादी नहीं थी। कहते हैं कि यह क्षेत्र वीर नाहर सिंह नामक एक पिशाच के प्रभाव में था। नाहर सिंह द्वारा परेशान किए जाने के बावजूद बाबा बड़भाग सिंह ने इस स्थान पर घोर तपस्या की तथा एक दिन दोनों का आमना-सामना हो गया तथा बाबा बड़भाग सिंह ने दिव्य शक्ति से नाहर सिंह पर काबू पाकर उसे बेरी के पेड़ के नीचे ही एक पिंजरे में कैद कर लिया। कहते हैं कि बाबा बड़भाग सिंह ने नाहर सिंह को इस शर्त पर आजाद किया था कि नाहर सिंह अब इसी स्थान पर मानसिक रूप से बीमार और बुरी आत्माओं के शिंकजे में जकड़े लोगों को स्वस्थ करेंगे और साथ ही निःसंतान लोगों को फलने का आशीर्वाद भी देंगे। यह बेरी का पेड़ आज भी इसी स्थान पर मौजूद है तथा हर वर्ष लाखों की तादाद में देश-विदेश से श्रद्धालु आकर माथा टेककर आशीर्वाद प्राप्त करते है।
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ऐसी मान्यता है कि अगर प्रेत आत्माओं से ग्रसित व्यक्ति को इस कुछ देर के लिए इस बेरी के पेड़ के नीचे बिठाया जाए तो वो व्यक्ति प्रेत आत्माओं के चंगुल से आजाद हो जाता है। होला मोहल्ला मेला हर वर्ष फाल्गुन के विक्रमी महीने में पुर्णिमा के दिन आयोजित किया जाता है। दस दिनों तक मनाए जाने वाला यह मेला देश ही नहीं अपितु विदेश में भी खासा प्रसिद्ध है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल तथा देश के अन्यों हिस्सों से लाखों की तादाद में श्रद्धालु इस मेले में शरीक होने के लिए आते है। डेरा बाबा बड़भाग सिंह जी बैरी साहिब के सेवादार तरसेम सिंह ने बताया कि इस स्थान पर बाबा बड़भाग सिंह ने तप किया था और श्रद्धालु इस स्थान पर नतमस्तक होकर  मानसिक और शारीरिक बिमारियों से मुक्ति पाते हैं। वहीं बाबा बड़भाग सिंह जी मैड़ी में तप के दौरान चरण गंगा में ही स्नान करते थे। मान्यता है कि बाण गंगा में स्नान करने से मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है। वहीं निःसंतान को संतान की प्राप्ति होती है और कई बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। चरण गंगा के महंत शादीलाल गोस्वामी ने कहा कि मेले एकता और भाईचारे के प्रतीक होते हैं। उन्होंने कहा कि यह एक बहुत ही ऐतिहासिक स्थान है जहां स्नान करने से श्रद्धालुओं के सभी दुख दूर होते हैं।
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वहीं मेला अधिकारी एडीसी ऊना डॉ. अमित शर्मा ने बताया कि मेला क्षेत्र को 13 सैक्टरों में बांटा गया है। उन्होंने बताया कि कोविड के प्रकोप के कारण मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए गए और इन दिशा-निर्देशों की पालना करवाने के लिए पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। उन्होंने बताया कि मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को कोविड की नैगेटिव रिपोर्ट लाने के निर्देश दिए गए हैं, जिसके लिए सीमाओं पर और मेला क्षेत्र में जांच की रही है। वहीं डेरा बाबा बड़भाग सिंह बैरी साहिब के प्रभारी नरेश कुमार ने बताया कि बैरी साहिब में प्रशासन के आदेशों की पालना की जा रही है। श्रद्धालुओं की थर्मल स्क्रीनिंग के साथ-साथ सैनेटाइजर और मास्क लगाए श्रद्धालुओं को ही प्रवेश दिया जा रहा है।श्रद्धालुओं की मानें तो डेरा बाबा बड़भाग सिंह में माथा टेकने और चरण गंगा में स्नान करने से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। उन्होंने जहां नतमस्तक होकर अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए मन्नत मांगी है वहीं जल्द से कोरोना महामारी खत्म हो इसके लिए भी प्रार्थना की है।
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