Edited By Jyoti M, Updated: 27 Dec, 2025 11:00 AM

अगर आप नए साल का जश्न बर्फ की गिरती फुहारों के बीच मनाने का सपना देख रहे हैं, तो हिमाचल प्रदेश आपके स्वागत के लिए तैयार हो रहा है। लंबे सूखे स्पैल के बाद, देवभूमि की ऊंची चोटियों ने बर्फ की सफेद चादर ओढ़नी शुरू कर दी है, जिससे पर्यटकों और स्थानीय...
हिमाचल डेस्क। अगर आप नए साल का जश्न बर्फ की गिरती फुहारों के बीच मनाने का सपना देख रहे हैं, तो हिमाचल प्रदेश आपके स्वागत के लिए तैयार हो रहा है। लंबे सूखे स्पैल के बाद, देवभूमि की ऊंची चोटियों ने बर्फ की सफेद चादर ओढ़नी शुरू कर दी है, जिससे पर्यटकों और स्थानीय बागवानों के चेहरों पर मुस्कान लौट आई है।
कैसा रहेगा मौसम का मिजाज?
मौसम विज्ञान केंद्र के ताजा अनुमानों के मुताबिक, साल के आखिरी दिनों में कुदरत मेहरबान होने वाली है:
बर्फबारी का समय: 30 दिसंबर से मौसम की करवट शुरू होगी, जिसका असर 1 जनवरी तक देखने को मिल सकता है।
प्रभावित क्षेत्र: प्रदेश के ऊंचे और मध्यम ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की बर्फबारी और बारिश की प्रबल संभावना है।
मैदानी इलाकों का हाल: निचले जिलों में आसमान साफ रहेगा, लेकिन वहां कड़ाके की ठंड और धुंध का दोहरा वार झेलना पड़ेगा।
ऊंची चोटियों पर शुरू हुआ हिमपात
शुक्रवार की सुबह लाहौल घाटी की शिंकुला और रोहतांग जैसी ऊंची पर्वतमालाओं ने बर्फबारी के साथ सर्दियों का आगाज कर दिया है। कांगड़ा से लेकर मंडी और ऊना तक बादलों के डेरे ने तापमान में भारी गिरावट ला दी है। फिलहाल, शिंकुला दर्रा पर्यटकों के लिए खुला है, जहां भारी संख्या में सैलानी इस कुदरती नजारे का लुत्फ उठाने पहुंच रहे हैं। हालांकि, प्रशासन ने वहां केवल 4x4 वाहनों को ही जाने की अनुमति दी है।
सावधानी और अलर्ट: कोहरे का साया
एक तरफ जहां पहाड़ चमक रहे हैं, वहीं मैदानी इलाके घने कोहरे की चपेट में हैं:
ऑरेंज अलर्ट: 29 दिसंबर तक मैदानी जिलों में भारी धुंध को लेकर 'ऑरेंज अलर्ट' जारी किया गया है।
येलो अलर्ट: 30 दिसंबर के लिए 'येलो अलर्ट' प्रभावी रहेगा।
तापमान: आने वाले दो दिनों में न्यूनतम पारा 2 से 3 डिग्री तक और लुढ़क सकता है, जिससे गलन बढ़ेगी।
विशेष सलाह: मौसम विभाग ने यात्रियों और वाहन चालकों को आगाह किया है कि घने कोहरे के कारण दृश्यता कम रह सकती है। सुरक्षित यात्रा के लिए फॉग लाइट्स का प्रयोग करें और गति सीमा का विशेष ध्यान रखें।
खेती-किसानी के लिए 'अमृत'
बादलों की आवाजाही ने केवल सैलानियों को ही नहीं, बल्कि प्रदेश के किसानों और बागवानों को भी बड़ी उम्मीद दी है। लंबे समय से बारिश का इंतजार कर रहे सेब के बगीचों के लिए यह मौसमी बदलाव किसी वरदान से कम नहीं है।