Mandi: डीसी अपूर्व देवगन ने पेश की मिसाल, 54वें विजय दिवस पर वीर नारियों को दिया 'मुख्य अतिथि' का दर्जा

Edited By Vijay, Updated: 16 Dec, 2025 03:37 PM

54th victory day

मंडी शहर के इंदिरा मार्कीट स्थित शहीद स्मारक पर 1971 के भारत-पाक युद्ध की ऐतिहासिक जीत के उपलक्ष्य में 54वां विजय दिवस हर्षोल्लास और देशभक्ति की भावना के साथ मनाया गया।

मंडी (रजनीश): मंडी शहर के इंदिरा मार्कीट स्थित शहीद स्मारक पर 1971 के भारत-पाक युद्ध की ऐतिहासिक जीत के उपलक्ष्य में 54वां विजय दिवस हर्षोल्लास और देशभक्ति की भावना के साथ मनाया गया। जिला प्रशासन, सैनिक कल्याण विभाग, जिला पूर्व सैनिक लीग और डिफैंस वुमेन वैल्फेयर एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस समारोह में अमर शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। समारोह के दौरान एक भावुक और प्रेरक क्षण देखने को मिला जब उपायुक्त (डीसी) अपूर्व देवगन ने प्रोटोकॉल से हटकर एक नई मिसाल पेश की। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित वीर नारियों को मुख्य अतिथि का सम्मान देते हुए उन्हें पहली पंक्ति में स्थान दिया, जबकि वे स्वयं दूसरी पंक्ति में बैठे। इस अवसर पर डीसी अपूर्व देवगन ने कहा कि विजय दिवस जैसे आयोजनों में वीर नारियों को ही मुख्य अतिथि का सम्मान मिलना चाहिए, क्योंकि वास्तविक सर्वोच्च बलिदान उन्हीं परिवारों ने दिया है। मैं केवल एक सहयोगी की भूमिका में हूं और भविष्य में भी ऐसे आयोजनों में वीर नारियों को ही सर्वोच्च स्थान मिलना चाहिए।

शहीदों को नमन और वीर नारियों का सम्मान
समारोह में उपायुक्त ने 1971 युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की वीर पत्नियों को सम्मानित किया। सम्मानित होने वाली वीर नारियों में विशन देवी पत्नी शहीद सिपाही जय सिंह, चिंता देवी पत्नी शहीद सिपाही किशन चंद, निर्मला देवी पत्नी शहीद नायक अमर सिंह, कृष्णा देवी पत्नी शहीद सिपाही नरोत्तम राम, तुलसी देवी पत्नी शहीद लांस नायक महंत राम, विमलकांत पत्नी शहीद सिपाही कृष्ण चंद और विमला कुमारी पत्नी शहीद सिपाही खूब राम शामिल रहीं। इससे पहले उपायुक्त, पूर्व सैन्य अधिकारियों, जवानों और स्थानीय नागरिकों ने शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित किए और दो मिनट का मौन रखकर वीर सपूतों को याद किया।

14 दिन में पाकिस्तान को घुटने टेकने पर किया था मजबूर
जिला सैनिक कल्याण विभाग के उप निदेशक लैफ्टिनैंट कर्नल गोपाल गुलेरिया ने इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 1971 का युद्ध 3 से 16 दिसम्बर तक चला। मात्र 14 दिनों में भारतीय सेना ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए निर्णायक जीत हासिल की, जिसके फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान आजाद हुआ और बांग्लादेश का निर्माण हुआ। उन्होंने बताया कि इस युद्ध में देश के 3845 सैनिक शहीद हुए थे, जिनमें हिमाचल प्रदेश के 190 और मंडी जिले के 21 जवान शामिल थे। जिला पूर्व सैनिक लीग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सेवानिवृत्त कैप्टन हेत राम शर्मा ने कहा कि छोटा राज्य होने के बावजूद हिमाचल को चार परमवीर चक्र प्राप्त करने का गौरव हासिल है। उन्होंने 1962 के युद्ध में महावीर चक्र विजेता मंडी के सूबेदार कांशी राम का भी स्मरण किया।

ये रहे माैके पर उपस्थित
इस अवसर पर नगर निगम महापौर वीरेन्द्र भट्ट, एसडीएम सदर रूपिन्द्र कौर, नगर निगम आयुक्त रोहित राठौर, राज्य सैनिक कल्याण विभाग के निदेशक ब्रिगेडियर मदनशील शर्मा, कर्नल केके मल्होत्रा, कर्नल एमके मंडयाल, कर्नल भीम सिंह, कर्नल हरिश वैद्य, जिला पूर्व सैनिक लीग के अध्यक्ष कैप्टन कश्मीर सिंह, डिफैंस वुमेन वैल्फेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष आशा ठाकुर सहित बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।

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