Himachal: 108 व 102 एम्बुलैंस कर्मियाें को 2 माह से नहीं मिला वेतन, कंपनी का टैंडर रद्द करने की उठी मांग

Edited By Vijay, Updated: 03 Jul, 2025 06:26 PM

108 and 102 ambulance workers not getting salary for 2 months

हिमाचल प्रदेश में 108 और 102 एम्बुलेंस सेवाओं के कर्मचारियों का शोषण लगातार जारी है। उन्हें पिछले दो महीने से वेतन नहीं मिला है, जिससे उनमें सरकार और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रति भारी रोष है।

हिमाचल डैस्क: हिमाचल प्रदेश में 108 और 102 एम्बुलेंस सेवाओं के कर्मचारियों का शोषण लगातार जारी है। उन्हें पिछले दो महीने से वेतन नहीं मिला है, जिससे उनमें सरकार और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रति भारी रोष है। कर्मचारियों का आरोप है कि उनकी मांगों पर सरकार और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रबंध निदेशक ने कोई ध्यान नहीं दिया है, यहां तक कि कई बार गुहार लगाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

कर्मचारियों ने राेष जाहिर करते हुए बताया कि एम्बुलैंस सेवा प्रदाता कंपनी के प्रदेश प्रभारी ने एमडी एनएचएम के सामने स्वयं 25-26 जून तक वेतन देने की बात कही थी, परंतु अभी तक उन्हें  2 माह का वेतन नहीं दिया है। इस विषय में एमडी एनएचएम ने भी कोई कार्रवाई नहीं की। स्टेट हैड ने स्वयं स्वीकार किया था कि ईपीएफ के दोनों हिस्से कर्मचारियों के वेतन से काटते हैं जोकि कानूनों के विरुद्ध है। इस पर एमडी एनएचएम नेआदेश दिए थे कि ये दोनों हिस्से कर्मचारियों के वेतन से नहीं काट सकते परंतु कंपनी कर्मचारियों को इतना प्रताड़ित कर रही है कि उन्हें 2 माह के वेतन से वंचित कर दिया है। यदि कोई कर्मचारी ऑफिस में बात करता है तो यही जवाब मिलता है कि अभी एनएचएम से पैसा नहीं आया है। 108 व 102 एम्बुलैंस सेवा कर्मचारियों ने सरकार से आग्रह किया है कि इस विषय में कड़ा संज्ञान लें और कर्मचारियों के हितों की रक्षा करें, जिस कंपनी के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए लिए पैसे नहीं है उसका टैंडर तुरंत रद्द किया जाए।

एम्बुलैंसों की हालत भी खराब, कइयाें में नहीं हैं उपकरण
राज्यभर के लोगों के लिए जीवनदायिनी मानी जाने वाली 108-102 एम्बुलैंसाें की हालत भी खराब है, जिनमें बैठने पर स्टाफ भी घबराता है। यही नहीं, करीब 70 फीसदी एम्बुलैंसों में प्राथमिक इलाज में प्रयोग में लाए जाने वाले उपकरण आधे से ज्यादा हैं ही नहीं और जो हैं भी वे खराब पड़े हैं। यहां तक कि एम्बुलैंसों में ऑक्सीमीटर तक खराब हैं, जिससे ऑक्सीजन भी एक अनुमान से ही लगाई जाती है। ऐसे में जीवनदायिनी एम्बुलैंसों में चिकित्सा उपकरणों के अभाव में मरीज रामभरोसे ही अस्पतालों तक पहुंचते हैं, जोकि प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र में दी जाने वाली सुविधाओं के साथ एक अन्याय है। इसके लिए यूनियन कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोलने की भी तैयारी कर रही है, वहीं सामाजिक संगठन भी इस मुद्दे को लेकर आगे आ रहे हैं।
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