Himachal: सोलन अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहाल, मोबाइल पर फोटो खींचकर दी जा रही एक्स-रे रिपोर्ट

Edited By Vijay, Updated: 05 Oct, 2025 01:51 PM

x ray report are being given by clicking photo on mobile phone in hospital

स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल के अपने गृह क्षेत्र सोलन में स्वास्थ्य व्यवस्था की एक चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है। यहां के क्षेत्रीय अस्पताल में मरीजों को एक्स-रे रिपोर्ट फिल्म पर नहीं, बल्कि अपने मोबाइल फोन पर फोटो खींचकर दी जा रही है।

सोलन (नरेश पाल): स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल के अपने गृह क्षेत्र सोलन में स्वास्थ्य व्यवस्था की एक चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है। यहां के क्षेत्रीय अस्पताल में मरीजों को एक्स-रे रिपोर्ट फिल्म पर नहीं, बल्कि अपने मोबाइल फोन पर फोटो खींचकर दी जा रही है। पिछले करीब 15 दिनों से अस्पताल में एक्स-रे फिल्म ही उपलब्ध नहीं हैं, जिससे यह अजीबोगरीब व्यवस्था चल रही है। इस स्थिति से न केवल मरीज परेशान हैं, बल्कि इलाज की गुणवत्ता और रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

क्या है पूरा मामला?
क्षेत्रीय अस्पताल सोलन में एक्स-रे करने का ठेका क्रस्ना कंपनी के पास है। नियमों के अनुसार एक्स-रे करने से लेकर फिल्म उपलब्ध कराने तक की जिम्मेदारी इसी कंपनी की है।,लेकिन पिछले 15 दिनों से कंपनी ने अस्पताल को एक्स-रे फिल्म की आपूर्ति नहीं की है। इसके कारण जब किसी मरीज का एक्स-रे होता है, तो उसकी डिजिटल रिपोर्ट को कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखाया जाता है और मरीज या उसके तीमारदार को अपने मोबाइल फोन से उसकी फोटो खींचने के लिए कहा जाता है। यदि किसी मरीज के पास कैमरे वाला फोन नहीं है, तो उसे रिपोर्ट मिलना भी मुश्किल हो रहा है। मरीज इसी मोबाइल फोटो को डॉक्टर को दिखाकर अपना इलाज करवाने को मजबूर हैं।

अस्पताल प्रशासन ने लिया कड़ा संज्ञान
मामले की गंभीरता को देखते हुए अस्पताल के एमएस डॉ. राकेश पंवर ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने बताया कि कंपनी की इस लापरवाही के लिए उसे नोटिस जारी किया गया है, साथ ही स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को पत्र लिखकर क्रस्ना कंपनी के साथ अनुबंध को तत्काल रद्द करने की सिफारिश भी की गई है। डॉ. पंवर ने इस बात पर हैरानी जताई कि यह समस्या सिर्फ सोलन अस्पताल में ही क्यों है, जबकि प्रदेश के अन्य जिलों में यही कंपनी एक्स-रे फिल्म पर ही रिपोर्ट दे रही है।

कंपनी की लापरवाही या विभाग की नाकामी?
सूत्रों के अनुसार इस मामले के पीछे कंपनी की स्वास्थ्य विभाग के पास कई महीनों की पेमैंट लंबित होना भी एक कारण हो सकता है। हालांकि, अगर ऐसा है भी तो इसका खमियाजा आम मरीजों को क्यों भुगतना पड़ रहा है? इस पूरे प्रकरण में स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। आम जनता यह समझ रही है कि अस्पताल में फिल्म नहीं है, जबकि असलियत में यह ठेकेदार कंपनी की विफलता है, लेकिन यह भी सच है कि कंपनी से काम लेना और यह सुनिश्चित करना कि मरीजों को असुविधा न हो, यह विभाग की ही अंतिम जिम्मेदारी है।

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