Edited By Vijay, Updated: 18 Aug, 2024 03:08 PM
हिमाचल प्रदेश की महिलाएं न केवल मेहनती हैं, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर भी बढ़ रही हैं। जिला मंडी के उपमंडल पधर की ग्राम पंचायत डलाह के गांव कोठी की महिलाएं 'वेस्ट से बैस्ट' की मिसाल पेश कर रही हैं।
मंडी (रजनीश): हिमाचल प्रदेश की महिलाएं न केवल मेहनती हैं, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर भी बढ़ रही हैं। जिला मंडी के उपमंडल पधर की ग्राम पंचायत डलाह के गांव कोठी की महिलाएं 'वेस्ट से बैस्ट' की मिसाल पेश कर रही हैं। कोठी गांव की महिलाएं स्वयं सहायता समूह के तहत वेस्ट मैटीरियल से राखी बनाने का काम कर रही हैं। इस समूह का गठन 2011 में किया था। समूह की सदस्य अंजलि कुमारी, कामेश्वरी और कुसमा प्रारंभ में केवल बचत करती थीं, लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा मिले 15 हजार रुपए के रिवाॅल्विंग फंड और 2500 रुपए के स्टार्टअप फंड के बाद, उन्होंने आय बढ़ाने के छोटे-छोटे कार्य शुरू किए।
समूह ने बांस से बनीं टोकरी, किरडु, बड़ियां,और अचार का उत्पादन शुरू किया। अब राखी के त्यौहार के लिए घर के वेस्ट मैटेरियल से राखियां बनाई जा रही हैं, जिन्हं पधर के हिम ईरा शॉप में बिक्री के लिए रखा गया है और पधर में द्रंग ब्लॉक में स्टाल भी लगाया गया है। अंजलि कुमारी और उनकी साथी महिलाओं का कहना है कि इन उत्पादों से उन्हें सालाना लगभग 1 लाख रुपए की आमदनी हो जाती है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन रही हैं। वे प्रदेश सरकार का धन्यवाद करती हैं, जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए निरंतर सहायता प्रदान कर रही है।
खंड विकास अधिकारी विनय चौहान ने बताया कि द्रंग ब्लॉक में 613 स्वयं सहायता समूह कार्य कर रहे हैं, जिन्हें सरकार द्वारा 15 हजार रुपए रिवाॅल्विंग फंड और 2500 रुपए स्टार्टअप फंड मिला है। ये समूह महिलाओं को आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
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