मौसम की मार: 12 साल में इस बार सबसे कम होगा सेब उत्पादन

Edited By Ekta, Updated: 04 Jun, 2018 08:59 AM

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हिमाचल में सेब उत्पादन इस बार एक करोड़ 25 लाख पेटी में सिमटने का अनुमान है। 4200 करोड़ रुपए के सेब उद्योग के लिए यह जबरदस्त झटका माना जा रहा है। बागवानी विभाग का पूर्वानुमान सही निकला तो पिछले 12 साल में यह सेब का सबसे कम उत्पादन होगा। सेब के अधीन...

शिमला: हिमाचल में सेब उत्पादन इस बार एक करोड़ 25 लाख पेटी में सिमटने का अनुमान है। 4200 करोड़ रुपए के सेब उद्योग के लिए यह जबरदस्त झटका माना जा रहा है। बागवानी विभाग का पूर्वानुमान सही निकला तो पिछले 12 साल में यह सेब का सबसे कम उत्पादन होगा। सेब के अधीन क्षेत्र में बढ़ौतरी के बावजूद हर साल उत्पादन में कमी आ रही है। विभाग द्वारा सभी जिला से जुटाई गई जानकारी के मुताबिक शिमला, कुल्लू और मंडी जिला में सेब को ज्यादा नुक्सान ओलावृष्टि और लावरिंग के दौरान खराब मौसम के कारण हुआ है। अतिक्रमण वाली भूमि से हाइकोर्ट के आदेशों पर भी इस बार सेब के हजारों पौधे काटे गए हैं। इसे भी उत्पादन में कमी का अहम कारण माना जा रहा है। साल 2010 में सेब की रिकॉर्ड तोड़ फसल के बाद हर वर्ष उत्पादन गिर रहा है। 


प्रदेश में इस बार सर्दियों से ही मौसम सेब के लिए अनुकूल नहीं रहा। सर्दियों में बारिश व बर्फबारी न होने के कारण चिलिंग प्रभावित हुई। इसके बगैर सेब की अच्छी फसल नहीं हो सकती। लावरिंग के वक्त प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में बारिश व ओलावृष्टि तथा कुछ ऊंचे क्षेत्रों में हिमपात भी हुआ। इस कारण ठंड की वजह से सेब की लावरिंग पर बहुत बुरा असर पड़ा और ज्यादातर क्षेत्रों में 25 से 30 फीसदी तक फसल बर्बाद हुई। इसके बाद अप्रैल के तीसरे व चौथे सप्ताह में ओलावृष्टि ने जबरदस्त तबाही मचाई। अब रही-सही कसर सूखा पूरी कर रहा है। बागवानी विभाग की मानें तो जमीन में नमी न होने के कारण ज्यादातर क्षेत्रों में सेब की बहुत ज्यादा ड्रापिंग हो रही है। इससे सेब का नुक्सान बढ़ता जा रहा है। प्रदेश में इस वक्त सेब की खेती 2.29 लाख हैक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में हो रही है। साल 2010 में जब रिकार्ड तोड़ उत्पादन हुआ था तो उस वक्त सेब की खेती मात्र 1.01 लाख हैक्टेयर पर हो रही थी।


जी.डी.पी. में भी निरंतर गिर रहा योगदान
सेब उत्पादन में कमी बागवानों के अलावा सरकार के लिए भी चिंता का कारण बना हुआ है, क्योंकि सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुणा करने के सपने देख रही है लेकिन प्रदेश में सेब उत्पादन गिरने से आय में बढ़ौतरी नहीं कम आएगी। प्रदेश की जी.डी.पी. में कृषि व बागवानी का साल 2000-01 में 21.1 फीसदी योगदान था। जो 2015-16 में 9.4 फीसदी तथा 2016-17में मात्र 2.9 फीसदी रह गया है जबकि प्रदेश में 75 फीसदी से अधिक आबादी कृषि व बागवानी पर निर्भर है। एक साल में ही कृषि का जी.डी.पी. में 5.4 फीसदी योगदान कम होना चिंताजनक है।


कब-कब हुआ कितना उत्पादन
साल    कितना उत्पादन

2007    2.96 करोड़ पेटी
2008    2.55 करोड़ पेटी
2009    1.40 करोड़ पेटी
2010    5.11 करोड़ पेटी
2011    1.38 करोड़ पेटी
2012    1.84 करोड़ पेटी
2013    3.69 करोड़ पेटी
2014    2.80 करोड़ पेटी
2015    3.88 करोड़ पेटी
2016    2.40 करोड़ पेटी
2017    2.08 करोड़ पेटी
 

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